अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन को लेकर जारी एक रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए हैं. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन तेजी से अपने परमाणु हथियारों में इजाफा कर रहा है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन इस दशक के अंत यानि 2030 तक 1000 परमाणु हथियारों के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा कि अगले दशक तक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का लक्ष्य अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण और विस्तार करना है.
रिपोर्ट के अनुसार, अगले 6 सालों में चीन में न्यूक्लियर हथियारों की संख्या बढ़कर 700 तक हो सकती है और 2030 तक चीन में परमाणु हथियारों की संख्या 1,000 से ऊपर जा सकती है. हालांकि इस रिपोर्ट में ये साफ नहीं किया गया है कि अभी चीन के पास कितने हथियार हैं.
एक साल पहले अमेरिकी रक्षा विभाग मुख्यालय पेंटागन ने कहा था कि चीन के परमाणु हथियारों की संख्या 200 से कम है और इस दशक के अंत तक इसके दोगुना होने का अनुमान है. अमेरिका के पास अभी 3,750 परमाणु हथियार हैं और इसे बढ़ाने की उसकी कोई योजना नहीं है.
अमेरिका से आगे निकलने की रणनीति में जुटा चीन
इससे पहले रिलीज हुई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन इस दशक के अंत तक 400 परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर सकता है लेकिन हालिया रिपोर्ट से साफ होता है कि चीन अपने न्यूक्लियर हथियारों में तेजी से वृद्धि कर रहा है.
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चीन वैश्विक शक्ति के तौर पर अमेरिका को पछाड़ने की कोशिशों में लगा हुआ है. चीन का टारगेट है कि इस सदी के मध्य तक अमेरिका के बराबर या उससे आगे निकल जाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना जमीन, समुद्र और वायु आधारित न्यूक्लियर डिलिवरी प्लेटफॉर्म की संख्या में निवेश और विस्तार कर रहा है और आवश्यक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण कर रहा है.
रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि चीन तीन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल साइलो का निर्माण शुरू कर चुका है. इससे पहले ब्रिटिश अखबार ने ये भी दावा किया था कि चीन सीक्रेट तरीके से हाइपरसोनिक मिसाइल्स की तैयारी भी कर रहा है.
हाइपरसोनिक मिसाइलें बैलेस्टिक मिसाइलों से कहीं ज्यादा खतरनाक है. ये मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति से हमला कर सकती हैं. इन्हें एयर डिफेंस सिस्टम से पहचान पाना भी मुश्किल होता है. इस रिपोर्ट को लेकर भी अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. हालांकि चीन ने ब्रिटिश अखबार की इस रिपोर्ट को गलत करार दिया था.