सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता सुनिश्चित करने पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का क्या रुख होगा, इस सवाल का सोमवार को साफ जवाब नहीं मिल सका. पूर्ववर्ती ओबामा सरकार ने भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का जोरदार समर्थन किया था. सोमवार को प्रेस ब्रीफ के दौरान जब ट्रंप के प्रवक्ता सीन स्पाइसर से जब इस संबंध में सवाल पूछा गया तो वे इस सवाल को टाल गए. उन्होंने संक्षिप्त तौर पर कहा कि मैं सुरक्षा परिषद में सीट मिलने के संबंध में बात नहीं करने जा रहा. उन्होंने साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.
फ्रांस और ब्रिटेन कर चुके हैं समर्थन
नए राष्ट्रपति के तहत अमेरिकी नीति अभी भी आकार ले रही है, ऐसे में भारत की स्थायी सदस्यता का मसला उसकी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में कम अहमियत रखती है. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाने का जोरदार समर्थन किया था. अमेरिका के सहयोगी देशों फ्रांस और ब्रिटेन ने भी भारत के दावे का समर्थन किया, जबकि रूस तटस्थ रहा और चीन ने इसका पुरजोर विरोध किया.
भारत को बताया था सच्चा मित्र
अगर ओबामा प्रशासन की तरह ट्रंप प्रशासन भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन करता है, तो यह एक महत्वपूर्ण बात होगी. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने भारत के साथ दोस्ताना रवैया रखने का संकल्प लिया था. पिछले हफ्ते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता के दौरान ट्रंप ने कहा था कि भारत को अमेरिका सच्चा मित्र मानता है और दुनिया भर की चुनौतियों के समाधान में भागीदार मानता है.
स्पाइसर ने कहा कि ट्रंप भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक निक्की हेली को संयुक्त राष्ट्र में कैबिनेट स्तर की जिम्मेदारी मिलने से बेहद खुश हैं और वह अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हुए अच्छा काम करेंगी. भारत और ट्रंप प्रशासन में कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद देखने को मिलना सकता है, जिसमें मध्य पूर्व का मुद्दा भी शामिल है.