अफगानिस्तान की निर्वासित सरकार का खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति बताने वाले अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर घाटी में कुछ बड़ा होने का दावा किया है. गुरुवार को सालेह ने बताया कि तालिबान एक बार फिर दर्जनों पाकिस्तानी स्नाइपर्स और आकाओं के साथ पंजशीर घाटी में घुस गए हैं.
अफगानिस्तान के साथ साथ पंजशीर घाटी की लड़ाई लड़ रहे सालेह ने ट्वीट कर बताया कि बुधवार से हक्कानी नेटवर्क के सैकड़ों तालिबान लड़ाकों से जुड़े दर्जनों पाकिस्तानी स्नाइपर और उनके आका पंजशीर घाटी में प्रवेश कर चुके हैं. अफगानिस्तान में इस तरह के मिशन के लिए ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तानी आका और स्निपर्स स्पेशल सर्विस ग्रुप से हैं. उन्होंने दावा किया कि घाटी में पाक सैन्य तंबू और MREs (लड़ाकों की खानपान से जुड़ी सामग्री) भी देखे जा सकते हैं. जल्द ही इस संबंध में पुख्ता सबूत जारी किए जाएंगे.
इस हफ्ते की शुरुआत में, विरोधी नेता सालेह ने तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा के मुखपत्र के रूप में कार्य करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी निशाना साधा था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आईएसआई, कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन को खुफिया जानकारी प्रदान कर रही है.
पंजशीर में छिड़ा नया संघर्ष
बता दें कि अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका तालिबान वहां के पंजशीर इलाके की कमान पूरी तरह अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में पंजशीर में स्थानीय लोगों और तालिबानी लड़ाकों के बीच खूनी संघर्ष का नया विवाद सामने आने से एक बार फिर लड़ाई शुरू हो गई है.
तालिबान ने परांध घाटी को घेरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में परांध घाटी को घेर लिया है और वहां रहने वाले कई लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है. पंजशीर में स्थानीय लोगों और तालिबान के बीच यह लड़ाई एक तालिबानी गाड़ी के ब्लास्ट होने के बाद शुरू हुई है. बताया जा रहा है घाटी में बीते 7 फरवरी से लड़ाई जारी है.
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त माह में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे करने के बाद से वहां लोगों की हालात काफी खराब हो गई है. वहीं, बेहद मुश्किलों के बावजूद भी पंजशीर के लोग अपनी लड़ाई रखे हुए हैं.
स्विट्जरलैंड में रहकर लड़ रहे हैं सालेह
उधर, अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह ने खुद को निर्वासित सरकार का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया हुआ है. सालेह इन दिनों स्विट्जरलैंड में रहकर पंजशीर घाटी समेत अफगानिस्तान की लड़ाई लड़ रहे हैं. कुछ महीने पहले पहले तालिबान ने पंजशीर में उनके भाई की बेरहमी से हत्या कर दी थी. बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति सालेह तालिबानियों के हाथ नहीं लगे थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह ताजिकिस्तान के रास्ते होकर स्विट्जरलैंड पहुंच गए थे.