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बांग्लादेश में भारत और PM मोदी के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शन के पीछे पाकिस्तान का हाथ!

इंडिया टुडे को हाई लेवल से मिली जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश में भारत और मोदी विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच पाकिस्तान है, पाकिस्तान कट्टरपंथियों को फंड देने के साथ ही उनकी हर तरह से मदद कर रहा है.

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बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन की तस्वीर (फोटो-AP)
बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन की तस्वीर (फोटो-AP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोदी के दौरे के बाद हिंसक प्रदर्शन
  • हिंसक प्रदर्शन के पीछे PAK का हाथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के बाद वहां हो रहे हिंसक प्रदर्शन के पीछे पाकिस्तान एंगल सामने आ रहा है. इंडिया टुडे को हाई लेवल से मिली जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश में भारत और पीएम मोदी विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच पाकिस्तान है, पाकिस्तान कट्टरपंथियों को फंड देने के साथ उनकी हर तरह से मदद कर रहा है.

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बांग्लादेश के 50 साल पूरे होने और बांग्लादेश के फादर ऑफ द नेशन शेख मुजीबुर रहमान के जन्मदिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों ही बांग्लादेश गए थे. पीएम मोदी के इस दौरे के बाद बांग्लादेश में अलग-अलग जगह हिंसक झड़प हो रही है. सूत्रों का कहना है कि इन हिंसक झड़प के पीछे पाकिस्तान का हाथ है.

सूत्रों का कहना है कि जमात और बीएनपी के लोग हिंसक झड़प कर रहे हैं और इसके पीछे पाकिस्तानी एंगल आ रहा है. इस बाबत बांग्लादेश की पार्लियामेंट ने एक ट्वीट भी किया था, जिसमें कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम और पाकिस्तान हाई कमीशन के बीच संबंध को बताया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद बांग्लादेश में हिफाजत-ए-इस्लाम जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन कर रहा है. इस बारे में बांग्लादेश की पार्लियामेंट ने लिखा था, 'पाकिस्तान हाई कमीशन ढाका, हिफाजत-ए-इस्लाम को फंड दे रहे है, ताकि भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन किया जा सके, हम सेकुलर और लोकतांत्रिक देश हैं, जो इस कृत्य की निंदा करते हैं.'

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हालांकि, बांग्लादेश पार्लियामेंट का यह ट्वीट डिलिट हो गया था. इसके बाद बांग्लादेश पार्लियामेंट ने अपने अगले ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान का कृत्य शर्मनाक है. कई लोगों का कहना है कि बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगने के बाद अब हिफाजत-ए-इस्लाम नाम से उसका संचालन किया जा रहा है, यह पार्टी देश में शरिया कानून लागू करना चाहती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे की कवरेज करने वाली टीम के अधिकारियों ने कहा कि 'मोदी के खिलाफ' नाम से हो रहे प्रदर्शनों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. हिंसा ब्राह्मणबारिया के पूर्वी सीमावर्ती जिले में हुई थी. इसके अलावा बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक मस्जिद में भी हिंसा हुई. हिंसा से हत्जारी, चटगांव और ब्राह्मणबारिया सबसे अधिक प्रभावित हुए.

इस हिंसा पर बंगबंधु के साथ जान गंवाने वाले स्वतंत्रता सेनानी के बेटे बैरिस्टर शेख फज़ल नूर तपोश ने कहा कि बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा की गई हिंसा को आतंकवादी संगठन जमात-ए-इस्लामी का समर्थन मिला है, जिसका अतीत में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध था.

इस हिंसा के बाद बांग्लादेश के लोग #BangladeshAgainstTerrorism हैशटैग के जरिए झड़प का विरोध कर रहे हैं. हिफाजत-ए-इस्लामी का सीधे तौर पर किसी राजनीतिक पार्टी से तालुक नहीं है. यह कट्टरपंथी संगठन कौमी मदरसों के जरिए संचालित होता है. बांग्लादेश में 14 हजार कौमी मदरसे है, जिसमें करीब 14 लाख बच्चे तालीम हासिल करते हैं. 

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आपको जानकर हैरानी होगी कि मौलाना अहमद सैफी, हिफाजत-ए-इस्लामी के बड़े लीडर थे, जिनकी मौत सितंबर 2020 में हो गई थी. उनका प्रधानमंत्री शेख हसीना से बहुत अच्छा संबंध था. वरिष्ठ पत्रकार मसूल करीम कहते हैं कि सैफी के निधन के बाद हिफाजत पर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी का कंट्रोल हो गया है.

जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान समर्थक राजनीतिक पार्टी है, जमात हमेशा 1971 में बांग्लादेश को मिली स्वतंत्रता के खिलाफ रही है. आज हालांकि उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन जमात विपक्षी पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के प्रमुख सहयोगियों में से एक है.

करीम कहते हैं, 'हिफाजत का वर्तमान नेतृत्व भारत विरोधी है, खासकर पीएम मोदी के खिलाफ, लेकिन हिफाजत का मोदी की यात्रा के खिलाफ कोई कार्यक्रम नहीं था, ढाका में मोदी के आगमन के बाद कुछ लोगों ने बैतुल मुकर्रम मस्जिद के सामने हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, खबर देशव्यापी फैल गई और हिफाजत बाद में शामिल हो गया.

 

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