रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी का उच्चस्तरीय दौरा शुरू होने से ठीक पहले चीन के एक जनरल ने भारत को चेतावनी दी है कि वह सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाकर नई समस्या के लिए नहीं उकसाए.
‘चाइना स्ट्रेटजी कल्चर प्रमोशन एसोसिएशन’ के कार्यकारी उपाध्यक्ष तथा महानिदेशक मेजर जनरल लुओ युआन ने कहा, ‘इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि सीमावर्ती इलाकों में चीन और भारत के बीच तनाव एवं समस्याएं हैं.’
उन्होंने विदेशी संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘अब भी यह समस्या है कि भारतीय पक्ष का 90 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा है. समस्याएं इतिहास से मिली हैं और हमें इनकी ओर ठंडे दिमाग से देखना चाहिए.’ उनसे एंटनी के चीन दौरे की पृष्ठभूमि में भारत-चीन संबंधों पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की राय के बारे में पूछा गया था. एंटनी चीन पहुंच चुके हैं.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भारत ने जनरल के इस बयान पर तुरंत आपत्ति जताई. इस पर चीन ने कहा कि वह एंटनी के दौरे को लेकर उत्सुक है और जनरल का बयान चीन का आधिकारिक विचार नहीं है.
युआन ने कहा, ‘भारतीय पक्ष को चाहिये कि वह नई समस्याओं के लिए नहीं उकसाये और न ही उसे सीमावर्ती इलाकों में सैन्य तैनाती को बढ़ाकर नई परेशानी शुरू करनी चाहिए.’ जनरल ने कहा, ‘दुनिया में भारत इकलौता ऐसा देश है जो कहता है कि वह चीन से खतरे की वजह से अपनी सैन्य ताकत विकसित कर रहा है. भारत जो कहता और करता है, उसको लेकर उसे सजग होना चाहिए.’
उन्होंने जिस 90 हजार वर्ग किलोमीटर की बात की है, वह अरुणाचल प्रदेश को लेकर है, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत करार देता है. भारत का कहना है कि सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के 4 हजार किलोमीटर से जुड़ा है तो चीन का मत है कि यह सिर्फ 2 हजार किलोमीटर सीमित है जो अरुणाचल प्रदेश है.
बीते 28 जून को दोनों देशों के बीच ताजा सीमा वार्ता संपन्न हुई. तीनों सैन्य बलों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ एंटनी बुधवार को ही चीन पहुंचे हैं. वह शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष जनरल चांग वानकुआन से मुलाकात करेंगे.
बीते सात वर्षों के दौरान किसी भारतीय रक्षा मंत्री का यह पहला चीन दौरा होगा. वह प्रधानमंत्री ली क्विंग से भी मुलाकात कर सकते हैं.