अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने शुक्रवार को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्र से कतर के खिलाफ अवरोध कम करने का आग्रह किया. स्रोतों के मुताबिक, अवरोध के कारण क्षेत्र में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अभियान में परेशानी आ रही है. साथ ही अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में रुकावट आ रही है. टिलरसन ने साथ ही कहा कि इससे क्षेत्र में अमेरिकी व्यापारिक गतिविधियों पर भी असर पड़ रहा है.
कतर ने आरोपों को खारिज किया
टिलरसन ने विदेश मंत्रालय में एक टिप्पणी में कहा, पिछले कुछ दिनों से अरब की खाड़ी में जो स्थिति चल रही है, उससे अमेरिका प्रभावित हो रहे हैं. मध्य पूर्व में उपजे राजनयिक संकट के बीच सऊदी अरब, बहरीन, यूएई और मिस्र ने कतर पर आतंकवाद के समर्थन का आरोप लगाया. उन्होंने कतर के साथ राजनियक संबंध समाप्त कर दिए हैं. जिसके बाद लीबिया, यमन और मालदीव ने भी यही किया. कतर ने हालांकि इन आरोपों को 'अनुचित' और 'निराधार' बताते हुए खारिज किया है.
मतभेदों को सुलझाने की पेशकश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कतर और अन्य अरब देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने में मदद की पेशकश की है. टिलरसन को मध्यस्थ के रूप में कार्य करने को कहा है. टिलरसन ने शुक्रवार को कतर से भी अपने पड़ोसी देशों की चिंताओं के प्रति जवाबदेह होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि कतर ने अपने देश से आतंकवादी तत्वों को बाहर निकालने और आर्थिक सहयोग रोकने की दिशा में काम किया है. लेकिन उन्होंने साथ ही देश से इस मामले में और अधिक और शीघ्र कदम उठाने का आग्रह किया.
कतर से संबंधित हालिया घटनाओं के बाद भारत का आधिकारिक बयान
भारत ने कहा कि सऊदी अरब और अन्य देशों के कतर के साथ कूटनीतिज्ञ संबंधों को तोड़ने के बाद से ही हम इस घटना का करीब से अनुसरण कर रहे है. हम इस बात को मानते हैं कि अन्य देशों के आंतरिक मामलें, परस्पर सम्मान, संप्रभुता और गैर हस्तक्षेप के सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के आधार पर सभी दलों को रचनात्मक वार्ता और शांतिपूर्ण वार्ता की प्रक्रिेया के माध्यम से सभी मतभेदों को हल करना चाहिए.
भारत का मानना है कि देश में शांति और सुरक्षा देशों की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और धार्मिक असहिष्णुता क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक शांति एवं व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है. सभी देशों को समन्वित और व्यापक तरीके से इसका सामना करना होगा. बता दें कि भारत के जीसीसी देशों के साथ अच्छे संबंध है. इन देशों में 80 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी काम करते है. उनके अधिकारियों ने निवासी भारतीय समुदायों के कल्याण के लिए निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है. भारतीय प्रवासी को सलाह दी गई कि अगर उन्हें कोई साहयता की आवशयकता है तो संबंधित भारतीय दूतावास से संपर्क करें.