पाकिस्तान के सिंध प्रांत में जुमे की नमाज के दौरान खचाखच भरी एक शिया मस्जिद पर शक्तिशाली विस्फोट में बच्चों सहित करीब 50 लोगों की मौत हो गई. यह हाल के समय में देश में हुए जातीय हमलों में सबसे घातक है.
कराची के उत्तर में तकरीबन 470 किलोमीटर दूर शिकारपुर के लखी डार इलाके में तालिबान से अलग हुए संगठन जुंदल्लाह द्वारा किये गये विस्फोट में इमामबारगाह मौला करबला की छत ढह गई और नमाजी उसमें दब गये. हमले में कम से कम 49 लोगों की मौत हो गई जबकि 55 अन्य घायल हुए जिसमें कुछ की हालत गंभीर है. कई लोग मलबे में फंस गये और सैकड़ों लोग जिंदा बचे लोगों को बाहर निकालने के लिए मौके पर पहुंचे. विस्फोट की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई. पीड़ितों में बच्चों के भी शामिल होने की आशंका है.
उपायुक्त हदी बख्श जरदारी ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए कहा कि विस्फोट में कम से कम 49 लोगों की मौत हो गई. शिकारपुर के सरकारी अस्पताल ने भी मरने वाले 49 लोगों की सूची जारी की. पुलिस महानिरीक्षक राखियो मिरानी ने कहा कि संदिग्ध व्यक्ति के मस्जिद में प्रवेश करने के तुरंत बाद विस्फोट हुआ. इससे पहले निजी मीडिया ने कहा कि यह आत्मघाती हमला हो सकता है लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ.
टेलीविजन फुटेज में घटनास्थल पर अफरा तफरी दिखाई गई और कार, मोटरसाइकिल तथा रिक्शा की मदद से घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब्दुल्ला मेहर ने बताया, ‘यह इमामबारगाह के अंदर एक बड़ा धमाका था जो किसी रिमोट उपकरण से किया गया था. विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि अस्थाई इमारत की छत पूरी तरह ढह गई जिससे कई लोगों की मौत हो गई.’ जियो टीवी ने शिकारपुर के डीआईजी राखियो मिरानी के हवाले से कहा कि एक व्यक्ति उपकरण लेकर इमामबारगाह में आया और उसने इसकी मदद से बम विस्फोट किया. जुंदल्लाह उग्रवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा निशाना शिया थे क्योंकि वे हमारे दुश्मन हैं.’ इस संगठन ने पिछले वर्ष तालिबान से अलग होकर ‘इस्लामिक स्टेट’ आतंकी संगठन के साथ रिश्ता जोड़ने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विस्फोट की निंदा की और तत्काल जांच के आदेश दिये. सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री कैम अली शाह ने विस्फोट में मारे गये लोगों की याद में एक दिन के शोक की घोषणा की. बीते वर्ष 22 जनवरी के बाद से पाकिस्तान में यह सबसे अधिक खूनखराबे वाला हमला है.
पिछले साल जनवरी में हुए हमले में 24 शिया श्रद्धालुओं की ईरान से लौटते वक्त मौत उस समय हो गई थी जब बलूचिस्तान में उनकी बस पर हमला हुआ था. लश्कर ए झांगवी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. दिसंबर में तालिबान ने पेशावर में सेना द्वारा संचालित एक स्कूल को निशाना बनाया था जिसमें 132 बच्चों सहित 150 लोग मारे गये थे.
इनपुट भाषा से...