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मानवाधिकार मामले में पाकिस्‍तान की जोरदार खिंचाई

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार को इस्लामी आतंकवादी गुटों और अन्य लोगों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए जो अल्पसंख्यकों और अन्य संवेदनशील समूहों के खिलाफ हिंसा और धमकी देने के लिए जिम्मेदार हैं.

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मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार को इस्लामी आतंकवादी गुटों और अन्य लोगों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए जो अल्पसंख्यकों और अन्य संवेदनशील समूहों के खिलाफ हिंसा और धमकी देने के लिए जिम्मेदार हैं.

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ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा कि शनिवार को लाहौर में एक ईसाई मुहल्ले में भीड़ ने घरों पर हमला किया और सैंकड़ों ईसाई लोगों को घर छोड़कर भागने के लिए विवश कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान के विवादित ईशनिंदा कानून पर पुनर्विचार किए जाने की मांग एक बार फिर उठी है.

एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक ईसाई पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया. इसके बाद भीड़ ने हमला किया. ह्यूमन राइट्स वाच ने एक बयान में कहा कि प्रांतीय पुलिस सहित स्थानीय अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया और ईसाइयों की कोई रक्षा नहीं की.

ह्यूमन राइट्स वाच के पाकिस्तान निदेशक अली दयान हसन ने कहा कि पंजाब की प्रांतीय सरकार अपने लगभग पूरे पांच साल के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों को खतरा होने की बात से इनकार करती रही है.

उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान के संघीय और प्रांतीय प्राधिकारी भेदभावपूर्ण नीति का पालन कर रहे हैं तब तक कानून प्रवर्तन प्राधिकारों को अपना पूर्वाग्रह त्याग देना चाहिए और धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की रक्षा करनी चाहिए, जो गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं.

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पुलिस ने ईश निंदा के आरोपी 26 वर्षीय सावन मसीह को गिरफ्तार कर लिया है. जोसेफ कालोनी में हमले के सिलसिले में करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मानवाधिकार संगठन ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कानूनी भेदभाव और सामाजिक उत्पीड़न विशेष रूप से पंजाब प्रांत में व्यापक है.

संगठन ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल.एन के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार से अनुरोध किया कि वह ईसाइयों, अहमदी लोगों और अन्य संवेदनशील समूहों के खिलाफ हिंसा, धमकी देने और भयभीत करने जैसे मामलों की जांच करे और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाए.

एचआरडब्ल्यू ने कहा कि देश में ईशनिंदा कानून का लगातार दुरूपयोग हो रहा है और 2012 में दर्जनों लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए जबकि कम से कम 16 लोगों को इस कानून के तहत मौत की सजा सुनायी गयी है. 20 अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है.

पंजाब प्रांत की आशिया बीबी पाकिस्तान के इतिहास में पहली महिला है जिसे 2010 में ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा सुनायी गयी. वह अब भी जेल में बंद है.

जुलाई 2012 में पुलिस ने एक व्यक्ति को पवित्र कानून जलाने के आरोप में गिरफ्तार किया. यह व्यक्ति कथित तौर पर मानसिक रोगी था. एचआरडब्ल्यू ने कहा कि स्थानीय धार्मिक नेताओं द्वारा एकत्र की गयी भीड़ ने उस व्यक्ति को अपने कब्जे में दिए जाने की मांग की. भीड़ ने एक थाने पर हमला किया और उसे खींचकर बाहर निकाला तथा उसे जला दिया.

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पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के लोग भी ईशनिंदा कानून के लगातार शिकार होते रहे हैं.

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