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रश्दी की तारीफ करने पर भारतीय मूल की लेखिका पर साउथ अफ्रीका में हमला

साउथ अफ्रीका में भारतीय मूल की एक महिला साहित्यकार को सलमान रश्दी की तारीफ करना महंगा पड़ गया. जैनब प्रिया डाला नाम की इस लेखिका को न सिर्फ भद्दी गालियां दी गईं, बल्कि बुरी तरह पीटा भी गया.

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जैनब प्रिया
जैनब प्रिया

साउथ अफ्रीका में भारतीय मूल की एक महिला साहित्यकार को सलमान रश्दी की तारीफ करना महंगा पड़ गया. जैनब प्रिया डाला नाम की इस लेखिका को न सिर्फ भद्दी गालियां दी गईं, बल्कि बुरी तरह पीटा भी गया.

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गौरतलब है कि जैनब ने पिछले हफ्ते डरबन के एक स्कूल में सलमान रश्दी की तारीफ कर दी थी. इस बात से कई लोग नाराज चल रहे थे. गुस्साए लोगों ने उन पर हमला कर दिया. उनके चेहरे पर ईंट से वार किया गया. जैनब अपनी किताब 'व्हॉट अबाउट मीरा' लॉन्च करने वाली थीं. हमलावरों ने उनका पीछा उनके होटल से ही करना शुरू कर दिया था. जब वह अपनी कार से जा रही थीं, उसी वक्त तीन बाइकसवार युवकों ने उनकी कार का रास्ता रोका. जब उन्होंने अपनी कार रोकी तो तीनों युवक उनकी तरफ आए. एक के पास कथित तौर पर चाकू था. उसने जैनब की गर्दन पर चाकू रख दिया. इसके बाद उन्होंने जैनब के चेहरे पर ईट से वार किया और भद्दी गालियां दीं.

रश्दी से नाराज हैं मुसलमान!
सलमान रश्दी यूं भी मुस्लिमों के बीच काफी अलोकप्रिय बताए जाते हैं. मुस्लिम धर्मगुरु उनकी किताब 'सैटेनिक वर्सेस' से नाराज हैं और उन्होंने रश्दी के खिलाफ फतवा भी जारी किया हुआ है. 1988 में सलमान साउथ अफ्रीका में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आने वाले थे, लेकिन लगातार मिल रही धमकियों और विरोध के बाद उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया. रश्दी उसके बाद कभी साउथ अफ्रीका नहीं आ पाए हैं.

जैनब ने इस घटना पर कहा, मुझे लगता है यह सलमान पर दिए गए मेरे बयान के कारण हुआ है. मुझसे मेरे फेवरेट लेखक के बारे में बोलने को कहा गया था. मुझे सलमान और अरुंधती रॉय पसंद हैं. इसके बाद वहां कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी. जैनब पर हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सलमान रश्दी ने कहा, 'यह एक शर्मनाक घटना है. मैं प्रार्थना करता हूं कि वह जल्दी स्वस्थ हो जाएं.'

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जैनब ने पुलिस में मामला दर्ज करा दिया है. हालांकि पुलिस अभी तक हमलावरों से दूर ही है. जैनब के प्रकाशक स्टीव कॉनली ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, 'क्या हम इस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां किसी की बात का विरोध ईंट और चाकू से किया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ तो डरबन में लेखकों का स्वागत हो रहा है दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.'

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