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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच इन दो देशों में फिर छिड़ गई जंग... जानें अजरबैजान-आर्मेनिया संघर्ष की कहानी

कभी साथ रहे अजरबैजान और आर्मेनिया में एक बार फिर संघर्ष शुरू हो गया है. इस संघर्ष में पांच लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो गई है. अजरबैजान और आर्मेनिया दोनों ने ही एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं. दोनों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके पर कब्जे को लेकर संघर्ष होता रहता है. जानें दोनों देशों के बीच जंग होना कितना खतरनाक है?

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अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर विवाद है. (फाइल फोटो-AP/PTI)
अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर विवाद है. (फाइल फोटो-AP/PTI)

Azerbaijan-Armenia Clash: एक ओर रूस और यूक्रेन में जंग चल रही है तो दूसरी ओर अजरैबजान और आर्मेनिया में फिर से संघर्ष शुरू हो गया है. इस संघर्ष में अब तक पांच लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच ये संघर्ष नागोर्नो-काराबाख में हुई. इस इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से विवाद है. 

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अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि इस संघर्ष में दो सैनिक मारे गए हैं. रक्षा मंत्रालय का दावा है कि इलाके में हथियारों को अवैध तरीके से लाया जा रहा था और जब सैनिकों ने इस काफिले को रोका तो फायरिंग शुरू कर दी.

वहीं, आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने बताया कि काराबाख इंटीरियर मिनिस्ट्री के तीन अफसर इस झड़प में मारे गए हैं. आर्मेनिया का दावा है कि काफिला दस्तावेजों को लेकर जा रहा था और उनके पास सर्विस पिस्टल थी. आर्मेनिया ने अजरबैजान के दावे को 'बेतुका' कहकर खारिज कर दिया है.

अजरबैजान और आर्मेनिया में पिछले साल सितंबर में भी जंग जैसे हालात बन गए थे. तब दोनों देशों के 150 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे. इससे पहले सितंबर 2020 में भी युद्ध छिड़ गया था. संघर्ष विराम के बाद युद्ध तो रुक गया, लेकिन समय-समय पर दोनों देशों के बीच झड़पे होती रहीं हैं. दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है.

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किस बात पर है विवाद?

- अजरबैजान और आर्मेनिया, दोनों ही सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जो 15 नए देश बने, उनमें अजरबैजान और आर्मेनिया भी थे. हालांकि, दोनों के बीच 1980 के दशक से ही विवाद शुरू हो गया था.

- दोनों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है. इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच चार दशकों से विवाद है. सोवियत संघ टूटने के बाद नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान के पास चला गया. 

- अजरबैजान मुस्लिम देश है, जबकि आर्मेनिया ईसाई बहुल राष्ट्र है. नागोर्नो-काराबाख की बहुल आबादी भी ईसाई ही है. इसके बावजूद सोवियत संघ जब टूटा तो इसे अजरबैजान को दे दिया गया. यहां रहने वाले लोगों ने भी इलाके को आर्मेनिया को सौंपने के लिए वोट किया था.

- 1980 के दशक में पहली बार विवाद तब शुरू हुआ, जब नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आधिकारिक तौर पर आर्मेनिया का हिस्सा बनने के लिए वोट किया. बाद में अजरबैजान ने यहां अलगाववादी आंदोलनों को दबाने की कोशिश भी की. 

1994 में हुआ था भयंकर युद्ध

- सोवियत संघ टूटने के बाद 1994 में दोनों देशों के बीच भयंकर युद्ध भी हुआ था. इस कारण लाखों लोगों को पलायन करना पड़ा था और सैकड़ों-हजारों लोगों की मौत भी हुई थी. बाद में दोनों देशों के बीच युद्धविराम तो हो गया था, लेकिन उसके बाद भी दोनों लड़ते रहे.

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- युद्धविराम से पहले नागोर्नो-काराबाख पर आर्मेनिया की सेना का कब्जा हो गया था. युद्धविराम के बाद ये इलाका अजरबैजान का ही रहा, लेकिन यहां अलगाववादियों की हुकूमत चलने लगी. 

- दो साल पहले सितंबर 2020 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था. इसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने का दावा किया जाता है. फिलहाल इस इलाके में शांति के लिए शांति वार्ता जारी है, लेकिन अब तक बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. दोनों देशों के बीच अक्सर सैन्य झड़पें होती रहतीं हैं.

क्यों खतरनाक है दोनों के बीच जंग?

- दोनों देशों के बीच जंग इसलिए खतरनाक है, क्योंकि इससे एक बड़ा युद्ध होने का खतरा है. इसकी वजह ये है कि अजरबैजान को तुर्की को समर्थन है. तुर्की NATO का सदस्य देश है. जबकि, आर्मेनिया को रूस का समर्थन है. 

- अजरबैजान की बड़ी आबादी तुर्क मूल के लोगों की है. इसलिए तुर्की इसका साथ देता है. तुर्की ने तो एक बार दोनों देशों के रिश्तों को 'दो देश एक राष्ट्र' तक कह दिया था. वहीं, आर्मेनिया के साथ तुर्की के कोई आधिकारिक संबंध नहीं है. 1993 में जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बढ़ा तो अजरबैजान का साथ देते हुए तुर्की ने आर्मेनिया से सटी अपनी सीमा बंद कर दी थी.

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- आर्मेनिया और रूस में अच्छे रिश्ते हैं. आर्मेनिया में रूस का सैन्य ठिकाना भी है. तुर्की कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीट ऑर्गनाइजेशन (CSTO) का सदस्य भी है. NATO की तरह ही CSTO भी सैन्य गुट है. इसमें आर्मेनिया के अलावा रूस, बेलारूस, ताजिकिस्तान, किर्गीस्तान और कजाखिस्तान शामिल हैं.

 

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