योग गुरू बाबा रामदेव को हीथ्रो हवाई अड्डे पर ब्रिटिश सीमा शुल्क अधिकारियों ने पूछताछ के लिए करीब आठ घंटे तक रोके रखा.
आठ घंटे तक बिठाए रखने के बाद भारतीय समय के मुताबिक देर रात एक बजे बाबा रामदेव को छोड़ दिया गया. परेशान, नाराज बाबा एयरपोर्ट से बाहर आए तो चेहरे पर परेशानी और जुबान पर नाराजगी साफ थी. उन्होंने कहा, 'मुझे आठ घंटे यहां क्या अष्टांग योग करवाया गया. मेरे पास एक ढेला भी नहीं है. एक डॉलर, एक रुपया भी नहीं. मैं रखता ही नहीं अपने पास. नोट बुक ले ली जिसमें लेक्चर्स के नोट्स बनाता हूं. रोके जाने का कोई कारण नहीं बताया. शायद सोनिया गांधी को कारण पता होगा.'
पहले जाने को कहा, फिर रोक लिया
भारतीय समय के मुताबिक, शाम 5 बजे बाबा रामदेव अपने सहयोगियों के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकल ही रहे थे, तभी इमिग्रेशन वाले आए और उन्हें रोक लिया.
इमिग्रेशन विभाग ने बाबा रामदेव से सारी जानकारी मांगी और रात 9 बजे उन्हें जाने को कह दिया गया. लेकिन फिर अचानक उन्हें रोक लिया गया. कुछ दस्तावेजों को लेकर उनसे फिर पूछताछ होने लगी.
रात 10 बजे बाबा रामदेव के समर्थकों ने तुरंत भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने की कोशिश की. हालांकि, जब आज तक ने इस मामले पर उच्चायोग से संपर्क करने की कोशिश की, तो रात के वक्त ठीक से कुछ भी पता नहीं चल पाया.
खुर्शीद को लिखी गई चिट्ठी
हीथ्रो एयरपोर्ट पर रामदेव को रोके जाने की आंच रात 12 बजे तक दिल्ली भी पहुंच गई. रामदेव के सहयोगी एसके तिजारावाला ने विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को चिट्ठी लिखी और मामले में फौरन कार्रवाई की अपील की.
इस चिट्ठी में लिखा था,
आदरणीय मंत्री जी,
हीथ्रो एयरपोर्ट पर स्वामी रामदेव को पिछले करीब 7 घंटों से रोककर रखा गया है. पड़ताल और पूछताछ के नाम पर उन्हें बेमतलब परेशान किया जा रहा है. उनका ये अपमान सवा सौ करोड़ भारतीयों का अपमान है. आप इस मामले में जल्द से जल्द दखल दें.
विजिटर वीजा पर पहुंचे थे
सूत्रों ने बताया कि बाबा रामदेव यहां बिजनेस वीजा के बजाए विजिटर वीजा पर आए थे इसलिए कस्टम अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की.
मीडिया में आई कुछ खबरों में यह भी बताया गया है कि रामदेव से कुछ उन दवाओं के बारे में पूछा गया जिन्हें वह अपने साथ यहां लाए हैं.
उनके प्रवक्ता एस के तेजरावाला ने इन रिपोर्टों को आधारहीन बताया कि उनसे कुछ दवाएं लाने के कारण पूछताछ की गई.
तेजारवाला ने बताया, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि योग गुरू को किसलिए रोक कर रखा गया. वह अपने साथ अपने निजी सामान के अलावा कुछ भी नहीं लिए हुए थे. यह तो ब्रिटिश प्रशासन ही बता सकता है कि उन्हें क्यों रोका गया.’
हिंदी-संस्कृत की किताबें थी वजह?
बाबा रामदेव यहां एक समारोह में भाग लेने के लिए आए हैं. समारोह के आयोजकों में से एक ने बताया कि वह अपने साथ हिंदी और संस्कृत में लिखी कुछ किताबें लिए हुए थे जिसे लेकर उनसे पूछताछ की गयी है.
वह यहां अगले कुछ दिन में स्वामी विवेकानंद की 120वीं वषर्गांठ मनाए जाने के मौके पर पतंजलि योगपीठ द्वारा आयोजित समारोह में भाग लेने आए हैं.