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बांग्लादेश: हिंसा, आगजनी और हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद जानिए अब कैसे हैं देश के हालात, ग्राउंड रिपोर्ट

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों को अपनी ड्यूटी पर लौटने के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी थी. हालांकि, इससे कोई हल निकलता नहीं निकलता दिखा.

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बांग्लादेश
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बांग्लादेश (Bangladesh) में शेख हसीना सरकार गिरने और कई हफ्तों तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं. वहीं, राजधानी ढाका में धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं और सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू हो रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि ढाका की सड़कों पर पुलिसकर्मी नहीं नजर आ रहे हैं. इसके बजाय, छात्र स्वयंसेवकों के रूप में ट्रैफिक मैनेजमेंट में लगे दिख रहे हैं. 

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ढाका के सबसे वीआईपी इलाकों में राष्ट्रपति भवन से महज कुछ दूर अवामी लीग का दफ्तर जलाकर राख कर दिया गया है. सबसे पहले उपद्रवियों और शेख हसीना के विरोधियों ने आवामी पार्टी लीग के हेडक्वार्टर पर हमला किया था. आगजनी और हिंसा के निशान मौजूदा वक्त में भी ताजा नजर आ रहे हैं.

bangladesh violence

शेख हसीना के समर्थक, कार्यकर्ता और नेता अंडरग्राउंड हो चुके हैं. इलाके में आसपास मिले आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने बताया कि 5 तारीख को जमकर लूटपाट हुई और बांग्लादेश को बर्बाद कर दिया गया. हेडक्वार्टर की पूरी इमारत में लूटपाट तोड़फोड़ हुई.

'नहीं पता कि कब खुलेंगे स्कूल-कॉलेज'

इंडिया टुडे से बात करते हुए ढाका के एक व्यस्त चौराहे पर यातायात का प्रबंधन कर रहे एक दूसरे वर्ष के कॉलेज के छात्र ने कहा, "प्रधानमंत्री भाग गई हैं और पुलिस भी भाग गई है. अब हम सभी छात्र ट्रैफिक का प्रबंधन कर रहे हैं. सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं और हमें नहीं पता कि वे कब खुलेंगे."

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छात्र ट्रैफिक मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, वहीं सेना और स्वयंसेवी संगठन कानून-व्यवस्था की स्थिति का ख्याल रख रहे हैं. ढाका के प्रमुख इलाकों में लाइट मशीन गन (LMG) लेकर सेना के जवानों की टुकड़ियां तैनात हैं. एयरपोर्ट के आस-पास के इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है, एंट्रेंस गेट के पास सेना के कई वाहन तैनात हैं.

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हसीना सरकार गिरने के बाद, सुरक्षा चिंताओं की वजह से पुलिस ड्यूटी से दूर रही, जिसकी वजह से देश में बड़े स्तर पर लूटपाट और दंगे हुए. पिछले हफ्ते बांग्लादेश में करीब 76 पुलिस स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया गया. सिराजगंज के एक थाने में कई पुलिस अधिकारियों की पीट-पीटकर हत्या भी की गई.

'यहां हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई...'

बांग्लादेश के लोगों ने मौजूदा हालात पर आज तक से बातचीत करते हुए कहा कि जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ. जिन लोगों ने हिंदुओं पर और मंदिरों पर हमला किया वह हमारे लोग नहीं थे. यहां हिंदू और मुसलमान भाई-भाई हैं. जमात चाहता है कि इस्लामिक राज हो लेकिन बंगाली बोलने वाले बांग्लादेश की पहचान नहीं बदलेगी. 

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उन्होंने कहा कि हम इस्लाम मानते हैं और हम चाहते हैं कि इसको आगे रखा जाए लेकिन यहां हिंदू मुस्लिम सब भाई-भाई हैं और सब साथ रहेंगे. शेख हसीना ने गलत किया, उन्हें प्रदर्शनकारियों और छात्रों से बातचीत करनी चाहिए थी क्योंकि वह भी इसी देश के हैं.

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डेडलाइन देने के बाद भी ड्यूटी पर नहीं आए पुलिसकर्मी 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों को अपनी ड्यूटी पर लौटने के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी थी. हालांकि, इससे कोई हल निकलता नहीं निकलता दिखा.

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पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रोटेस्ट

राजधानी ढाका में पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर पुलिस कर्मियों का प्रदर्शन हो रहा है और मुख्यालय की सुरक्षा सेना के हवाले कर दी गई है. हेडक्वार्टर के अंदर केवल कुछ ही पुलिसकर्मी नजर आ रहे हैं. बता दें कि 5 अगस्त के बाद से ही बांग्लादेश से पुलिसकर्मी नदारत और अंडरग्राउंड हैं. पुलिसकर्मियों ने कहा कि उन्होंने सिर्फ शेख हसीना सरकार और बड़े अधिकारियों के आदेश के मुताबिक कार्रवाई की. जानकारी सामने आई है कि कई पुलिस वालों की जान पर खतरा भी मंडरा रहा है.

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