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बांग्लादेश: आवामी लीग का 'रिफाइंड वर्जन'! आर्मी चीफ के साथ सीक्रेट मीटिंग और सड़क पर सेना, कहां जा रही है ढाका की पॉलिटिक्स

बांग्लादेश की राजनीति में अभी लगातार ट्विस्ट चल रहा है. बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकर-उज़-ज़मान की छात्र नेताओं से गुप्त मुलाकात और फिर एक छात्र नेता अब्दुल्लाह हसनत की ओर से इस हाई प्रोफाइल मीटिंग को सार्वजनिक किए जाने पर छात्र नेताओं में ही दरार पैदा हो गया है. इस बीच ढाका में सेना का मार्च जारी है. बांग्लादेश में इस बात की जोर-शोर से चर्चा है कि शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के 'रिफाइंड वर्जन' की राजनीति में वापसी हो सकती है.

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बांग्लादेश में छात्र नेताओं में ही दरार देखने को मिला है. (फोटो- आजतक)
बांग्लादेश में छात्र नेताओं में ही दरार देखने को मिला है. (फोटो- आजतक)

बांग्लादेश में सेना की गतिविधियों को लेकर गंभीर संशय की स्थिति बनी है. ढाका में साजिश की सियासी खिचड़ियां पक रही हैं. ढाका में चल रही घटनाओं पर स्वीडन की समाचार एजेंसी नेत्र न्यूज (Netra News) ने रिपोर्ट फाइल की है. स्वीडन बेस्ड नेत्र न्यूज ने बांग्लादेश के आर्मी मुख्यालय के हवाले से कहा है कि 'रिफाइंइ आवामी लीग' को बांग्लादेश की राजनीति में फिर से स्थापित करने की हसनत अब्दुल्लाह की पोस्ट कुछ और नहीं बल्कि “बेहद हास्यास्पद और अपरिपक्व कहानियों का गुच्छा” है. 

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नेत्र न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, "नेत्र न्यूज के साथ साझा किए गए एक बयान में, सेना मुख्यालय ने स्वीकार किया कि उसके प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने 11 मार्च को ढाका छावनी में हसनत अब्दुल्ला से मुलाकात की. हालांकि, सेना ने अब्दुल्ला के दावों को 'बेहद हास्यास्पद और अपरिपक्व कहानियों का एक समूह' बताया."

आर्मी चीफ के साथ छात्र नेता की सीक्रेट मीटिंग

बांग्लादेश में हसीना सरकार की कुर्सी पलटने वाले 27 साल के छात्र नेता हसनत अब्दुल्लाह और सरजिस आलम ने 11 मार्च को आर्मी चीफ जनरल वकर-उज़-ज़मान से गुप्त मुलाकात की थी. 

27 वर्षीय हसनत अब्दुल्ला एक पूर्व छात्र कार्यकर्ता हैं. बांग्लादेश में सत्ता बदलने के बाद हसनत समेत अन्य छात्र नेताओं ने एक राजनीतिक दल का गठन किया है. इस पार्टी का नाम नेशनल सिटीजन (NCP) पार्टी है. 

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हसनत अब्दुल्लाह ने आर्मी चीफ से गुप्त मुलाकात का ब्यौरा सार्वजनिक कर बांग्लादेश की राजनीति में तूफान मचा दिया है. हसनत ने इस मुलाकात का ब्यौरा सार्वजनिक करते हुए कहा है कि मीटिंग के दौरान उन्हें प्रस्ताव दिया गया था कि वे आवामी लीग की बांग्लादेश की राजनीति में फिर से आने दें. इसके बदले में उन्हें राजनीतिक फायदा दिया जाएगा. 

हसनत ने इसे "सैन्य हस्तक्षेप" का उदाहरण बताया और कहा कि "बांग्लादेश में सैन्य हस्तक्षेप अस्वीकार्य है." 

आवामी लीग के 'रिफाइन्ड वर्जन' की वापसी पर विचार

हसनत ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "कुछ दिन पहले मैंने आपको Refined awami leauge के नाम पर एक नई साजिश के बारे में बताया था.यह भारत की योजना है. हसनत ने कहा कि यह योजना सबीर हुसैन चौधरी, शिरीन शर्मिन और तपोश को केंद्र में रखकर बनाई जा रही है."

नेत्र न्यूज के साथ साझा किए गए एक बयान में, सेना मुख्यालय ने स्वीकार किया कि उसके प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने 11 मार्च को ढाका छावनी में हसनत अब्दुल्ला से मुलाकात की. हालांकि, सेना ने अब्दुल्ला के दावों को 'बेहद हास्यास्पद और अपरिपक्व कहानियों का एक समूह' बताया.

फिर सड़कों पर आए प्रदर्शनकारी

बांग्लादेश के समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून के अनुसार NCP नेता हसनत अब्दुल्लाह ने शेख हसीना की पार्टी की बांग्लादेश की राजनीति में वापसी की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिाया और कहा कि आवामी लीग की वापसी केवल “उनकी लाशों पर” होगी. 

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हसनत अब्दुल्लाह के फेसबुक पोस्ट के बाद बांग्लादेश की राजनीति में हंगामा हो गया और कई संगठन और पार्टियां एक बार फिर से सड़कों पर उतर आईं.  

विरोध प्रदर्शन में ढाका विश्वविद्यालय के छात्र, इंकलाब मंच, जुलाई वारियर्स और बांग्लादेश स्टूडेंट राइट्स काउंसिल जैसे संगठन शामिल थे, इन्होंने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. 

राजनीतिक दलों ने भी इसी तरह की मांग की, जिसमें जमात-ए-इस्लामी प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान ने अवामी लीग की वापसी के खिलाफ एकजुटता का आग्रह किया. 

सेना की कड़ी चौकसी

राजनीतिक हलचल को देखते हुए बांग्लादेश में सेना भी सतर्क हो गई. 

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयुक्त सुरक्षा बलों ने पूरे शहर में अभियान तेज कर दिया है, शुक्रवार सुबह से ही सेना की गश्त और चौकियां बढ़ा दी गई हैं. सेना के जवानों को रामपुरा, शांतिनगर, ककरैल, नेशनल प्रेस क्लब क्षेत्र, बैतुल मुकर्रम, मोहाखाली, बिजॉय सरानी, ​​गुलशन और खिलखेत सहित कई प्रमुख स्थानों पर गश्त बढ़ा दी गई है और चौकियां बना दी गई है. 

सेना ने 9वीं डिवीजन के सैनिकों को बख्तरबंद वाहनों के साथ ढाका में तैनात करने का आदेश भी दे दिया है. सेना की गतिविधियों को देखकर कई मतलब निकाले जा रहे हैं. 

छात्र नेताओं में दरार!

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बांग्लादेश की राजनीति का ट्विस्ट यहीं नहीं रुका. बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकर-उज़-ज़मान की छात्र नेताओं से मुलाकात और फिर अब्दुल्लाह हसनत की ओर से इस हाई प्रोफाइल मीटिंग को सार्वजनिक किए जाने पर छात्र नेताओं में ही दरार पैदा हो गया है. 

बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार ने लिखा है कि अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि पार्टी फोरम पर पूर्व चर्चा के बिना सोशल मीडिया पर ऐसे "गोपनीय" मामलों का खुलासा करने से कई नेता नाराज हैं, जबकि कुछ लोग फेसबुक पोस्ट को "व्यक्तिगत लोकप्रियता" हासिल करने का प्रयास मानते हैं.

एनसीपी के मुख्य समन्वयक नसीरुद्दीन पटवारी ने शनिवार को सिलहट में एक कार्यक्रम में कहा कि हसनत का बयान सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहिए था, यह "अनुचित" था. 

एनसीपी के चीफ आर्गनाइजर (उत्तर) सरजिस आलम ने कल दोपहर के बाद फेसबुक पर एक बयान के साथ बहस को और हवा दे दी. गौरतलब है कि सरजिस ने भी आर्मी चीफ से मुलाकात की थी. 
 
सरजिस ने चेतावनी दी कि इस तरह की चर्चा के विवरण को सार्वजनिक रूप से प्रकट करने से "भविष्य में किसी भी हितधारक के साथ महत्वपूर्ण संवादों में विश्वास के मुद्दे पैदा हो सकते हैं."

सरजिस आलम ने कथित रूप से रिफाइन्ड आवामी लीग के राजनीति में वापसी वाले बिषय पर कहा कहा कि उन्हें मुलाकात के दौरान ऐसा नहीं लगा कि जैसे उन पर किसी तरह का दबाव डाला गया हो. सरजिस ने कहा, "सेना प्रमुख ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि अगर अवामी लीग का रिफाइंड वर्जन सामने नहीं आया, तो यह देश और राजनीतिक दलों के लिए दीर्घकालिक मुद्दे पैदा करेगा."

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सरजिस आलम ने कहा, "हसनत की पोस्ट में दिख रहा लहजा वास्तविक बातचीत से ज़्यादा उग्र लग रहा था, हालांकि निश्चित रूप से यह हमेशा की तुलना में ज़्यादा सीधा और आत्मविश्वास से भरा था. यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चुनावों में एक रिफाइंड अवामी लीग की भागीदारी राष्ट्रीय स्थिरता के लिए ज़रूरी है. 

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