scorecardresearch
 

बांग्लादेश: कोटा पर खूनी भिड़ंत में अबतक 133 मौतें, PM हसीना की पाकिस्तान वाली तुलना से और बिगड़ा माहौल, शूट एट साइट ऑर्डर जारी

Bangladesh Civil Unrest: बांग्लादेश में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी है. कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई हैं. इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं.

Advertisement
X
 बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. (PTI Photo)
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. (PTI Photo)

बांग्लादेश की शीर्ष अदालत आज उस विवादास्पद कोटा सिस्टम पर अपना फैसला सुना सकती है, जिसने विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा देशव्यापी आंदोलन को जन्म दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला सुनाने वाला है कि सिविल सर्विस जॉब कोटा को खत्म किया जाए या नहीं. उससे पहले पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. सरकार ने दंगाइयों को 'देखते ही गोली मारने' के आदेश दिए हैं. विश्वविद्यालय परिसरों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया ​है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों की तुलना उन लोगों से करके तनाव को और बढ़ा दिया, जिन्होंने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान का सहयोग किया था.

Advertisement

क्या रजाकारों के वंशजों को आरक्षण का लाभ दें: PM हसीना

हसीना के आवास पर 14 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान, जब प्रधानमंत्री से छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटा) लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?' प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्र और उग्र हो गए, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई. उन्होंने जवाब में 'तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार! (आप कौन? मैं कौन? रजाकार, रजाकार!) के नारे लगाने शुरू कर दिए.'

बता दें कि बांग्लादेश में 1971 मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. साल 2018 में इस कोटा सिस्टम के विरोध में बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन हुआ था. शेख हसीना सरकार ने तब कोटा सिस्टम को निलंबित करने का फैसला किया था. मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने पिछले महीने शेख हसीना सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और कोटा सिस्टम को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था.

Advertisement

Bangladesh Quota Protest 4th

बांग्लादेश में अब तक 133 लोगों की मौत

अदालत के इस फैसले के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, बसों और ट्रेनों में आगजनी की. हालात इतने बेकाबू हो गए कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी. कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं. इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं, जो अब भी जारी है. देश में रेल सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है.

Bangladesh Quota Protest 2nd

ढाका की सड़कों सेना कर रही पेट्रोलिंग

बढ़ती अशांति को रोकने के लिए पूरे बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया है और सैनिक राजधानी ढाका समेत अन्य शहरों की सड़कों पर गश्त कर रहे हैं. लोगों को आवश्यक काम निपटाने की अनुमति देने के लिए शनिवार दोपहर को कुछ देर के लिए कर्फ्यू में राहत दी गई थी. सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादिर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि पुलिस अधिकारियों को कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर गोली चलाने का अधिकार दिया गया है. हिंसक विरोध प्रदर्शनों के शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को सभी सार्वजनिक और निजी शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

Advertisement

Bangladesh Army on Streets of Capital Dhaka.png

लगभग 1000 भारतीय छात्र स्वदेश लौटे

बांग्लादेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे लगभग 1000 भारतीय छात्र स्वदेश लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय के मुताबिक बांग्लादेश में कुल 15000 के करीब भारतीय हैं. स्थानीय भारतीय दूतावास ने किसी भी मदद के लिए भारतीयों से संपर्क करने को कहा है. साथ ही 27x7 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिकियों को बांग्लादेश की यात्रा न करने की सलाह दी है और सिविल अनरेस्ट के कारण अपने कुछ राजनयिकों और उनके परिवारों को ढाका से वापस बुलाने का फैसला किया है.

Bangladesh Quota Protest 3rd

उनकी सरकार ने इंटरनेटर और संचार सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. यह विरोध प्रदर्शन कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू होकर शेख हसीनासरकार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया है, जो 2009 से सत्ता में है. बांग्लादेश में एक दशक से अधिक समय में हुआ यह सबसे व्यापक हिंसक आंदोलन है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोटा सिस्टम का बचाव करते हुए कहा है कि मुक्ति संग्राम में अपने योगदान के लिए स्वतंत्रता सेनानी और उनके वंशज सर्वोच्च सम्मान के हकदार हैं, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो.

क्या है रजाकारों का इतिहास?

बांग्लादेश के चटगांव विश्वविद्यालय में बंगबंधु (बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर्रहमान) चेयर के प्रमुख डॉ. मुंतसिर मामून ने कहा, 'यह शब्द वास्तव में रेज़ाकार है, जो हैदराबाद (भारत) से संबंधित है. ये मूलतः स्वयंसेवी सैनिक होते थे, जो हैदराबाद रियासत की ओर से भारत गणराज्य के खिलाफ लड़ रहे थे. बांग्लादेश में रजाकार शब्द को अपमानजनक माना जाता है और यह मुक्ति संग्राम (1971 का बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम) के दौरान किए गए अत्याचारों से जुड़ा है.'

Advertisement

उन्होंने आगे बताया कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में, पाकिस्तान सशस्त्र बलों ने स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने, स्वतंत्रता सेनानियों को निशाना बनाने और नागरिकों को आतंकित करने के लिए तीन मिलिशिया संगठन बनाए थे: रजाकार, अल-बद्र और अल-शम्स. पाकिस्तान सशस्त्र बलों के समर्थन से इन मिलिशिया संगठनों ने, बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थकों का नरसंहार किया, महिलाओं और युवतियों का बलात्कार किया. उन्हें यातनाएं दीं, उनकी हत्याएं कीं. 

Live TV

Advertisement
Advertisement