पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश हिंसा की आग में धधक रहा है. इस्तीफा देकर देश छोड़ चुकीं शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं. उनकी कट्टर दुश्मन खालिदा जिया किसी भी पल जेल से बाहर आ सकती हैं. इस बीच खालिदा की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने संसद को तुरंत भंग कर जल्द से जल्द अंतरिम सरकार के गठन का आग्रह किया है. लेकिन बांग्लादेश की इस मौजूदा स्थिति का जिम्मेदार कौन है? इस अराजकता के पीछे चीन का हाथ बताया जा रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन एक-एक कर भारत के पड़ोसी देशों में अराजक स्थितियां पैदा कर रहा है. इसका प्रमुख कारण चीन पर इन देशों की निर्भरता को बढ़ाना और भारत से उनके रिश्तों में तल्खी पैदा करना बताया जा रहा है. पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश इसका उदाहरण हैं और अब इसी फेहरिस्त में बांग्लादेश का नाम भी शामिल हो गया है.
शेख हसीना सरकार के भारत से मधुर संबंध रास नहीं आए
शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को भारत समर्थक माना जाता है. शेख हसीना के लंबे चौड़े कार्यकाल में भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध मधुर ही रहे हैं. वहीं, खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को चीन का हिमायती कहा जाता है. चीन को लेकर बीएनपी की नीतियां अमूमन सॉफ्ट रही हैं. इस वजह से कहा जाता है कि चीन बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को पसंद नहीं करता. ऐसे में शेख हसीना सरकार की रवानगी का बड़ा फायदा चीन को होगा.
चीन दौरे से जल्द लौट आई थीं शेख हसीना
शेख हसीना बीते महीने की 10 तारीख को चीन के चार दिन के दौरे पर गई थीं. इस दौरान उन्होंने चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात भी की थी और साथ ही 20 से अधिक समझौतों पर साइन किए थे. लेकिन 10 से 14 जुलाई तक के उनके दौरे को वह बीच में ही छोड़कर 13 जुलाई को ही ढाका लौट गई थीं.
हालांकि, दौरा बीच में ही छोड़कर ढाका लौट जाने का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया. लेकिन कई रिपोर्ट्स की मानें तो शेख हसीना जिस उद्देश्य के साथ चीन के दौरे पर गई थीं, वह पूरा नहीं हो पाया था. चीन ने उन्हें जो भरोसा जताया था, वह पूरा नहीं कर सका. इस वजह से शेख हसीना गुस्से में ढाका लौट गईं.
पाकिस्तान को कर्ज जाल में फंसाया
बांग्लादेश ऐसा अकेला राष्ट्र नहीं है, जो चीन की इस कुटिल रणनीति का शिकार हुआ हो. इससे पहले पाकिस्तान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. आर्थिक संकट से जूझ रहे और राजनीतिक रूप से उथल-पुथल देशों को कर्ज के जाल में फंसाना चीन की पुरानी रणनीति रही है.
चीन अपनी इस स्ट्रैटेजी के तहत सबसे पहले ऐसे जरूरतमंद देशों को भारी भरकम कर्ज देता है. यह कर्ज उस देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स या इन्फ्रास्ट्रक्चर को गिरवी या लीज पर रखवाकर लिया जाता है. इसके बाद तय समय पर अदायगी नहीं होने पर चीन उस पर कब्जा कर लेता है.
चीन और पाकिस्तान के बीच साल 2015 में सीईपीसी समझौता हुआ था. इस समझौते के साथ ही पाकिस्तान, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट से जुड़ गया. चीन ने पाकिस्तान के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं. सीपीईसी प्रोजेक्ट का लक्ष्य पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन को सीधे जोड़ना है. लेकिन इसी प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए पावर प्लांट पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन गए हैं. आज पाकिस्तान की माली हालत किसी से छिपी नहीं है. चीन के कर्ज जाल में फंसकर पाकिस्तान बेहाल हो चुका है.
जब चीन ने श्रीलंका को कर दिया था तबाह
बांग्लादेश में पांच अगस्त को जो हुआ, ठीक वैसा ही नजारा 2022 में श्रीलंका में देखने को मिला था. जब महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त लोगों ने राष्ट्रपति भवन में घुसकर लूटपाट की थी. हजारों की संख्या में लोगों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ नारेबाजी की थी. गोटबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा था.
लेकिन श्रीलंका दिवालियापन की स्थिति तक कैसे पहुंचा था? इसके पीछे भी चीन का हाथ था. लगातार बढ़ रहे कर्ज की वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया था. श्रीलंका पर कर्ज का बहुत बड़ा हिस्सा चीन से लिया गया था. श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट चीन के इसी कर्ज की भेंट चढ़ गया था.
चीन के जाल में फंसा मालदीव
चीन की कूटनीति के जाल में फंसने वाला एक और देश मालदीव है. मालदीव की मुइज्जू सरकार को चीन समर्थक माना जाता है. इंडिया आउट के नारे के साथ सत्ता में काबिज हुए मुइज्जू शुरुआत से ही भारत सरकार पर निशाना साधते रहे.
पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया था. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था. लेकिन स्थिति तब और बिगड़ी जब मुइज्जू चीन के पांच दिन के राजकीय दौरे पर चले गए थे. इस दौरे से लौटने के बाद मुइज्जू लगातार भारत पर निशाना साधते रहे.
मुइज्जू ने मालदीव लौटते ही दो टूक कह दिया था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. उन्होंने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया था. लेकिन माना गया कि उनका निशाना भारत की तरफ था. लेकिन भारत से इस विवाद की वजह से मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित हुई. हालात ऐसे हो गए कि मालदीव के टूरिज्म मिनिस्ट को भारत में आकर गुहार लगानी पड़ी कि भारतीय बड़ी संख्या में छुट्टियों के लिए मालदीव का रुख करें.
नेपाल में भी चीन समर्थक सरकार
नेपाल में भी हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है. वहां चीन समर्थक केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. पिछले कई महीनों से नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद उन्होंने पद्भार संभाला था. ओली तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं, उन्हें चीन का समर्थक माना जाता है.
ओली के पिछले कार्यकाल में भारत के साथ उनके रिश्तों में काफी तल्खी आई थी. ओली 2015 से 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे थे. इस दौरान नेपाल और भारत के साथ संबंध काफी तनावपूर्ण रहे थे. इसके बाद ओली दोबारा 2018 से 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे.