बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के दो मामले में रविवार को कोर्ट में पेशी के बाद जमानत मिल गई है. वह करीब तीन महीने बाद अपने पार्टी कार्यालय से बाहर निकली हैं.
यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि देश में कुछ महीनों से चले आ रहे राजनीतिक गतिरोध में कमी आ सकती है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष 6,50,000 डॉलर के भ्रष्टाचार के दो मामलों में जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने के लिए अपने गुलशन कार्यालय से बाहर निकलीं. वह बीते तीन जनवरी से यहां ठहरी थीं.
वारंट जारी होने के 39 दिन बाद कोर्ट में हुईं पेश
खालिदा गिरफ्तारी
वारंट जारी किए जाने के बाद 39 दिनों बाद कोर्ट में पेश हुईं. खालिदा के इस कदम से बांग्लादेश में बीते तीने
महीने से चले आ रहे राजनीतिक संकट के कम होने की संभावना है. बांग्लादेश में बीते तीन महीने की हिंसा
में 130 से अधिक लोग मारे गए हैं.
'वांरट जारी करने के लिए विवश होना पड़ा'
ढाका की अदालत
के न्यायाधीश अबू अहमद जमादार ने खालिदा और दो अन्य आरोपियों को जमानत देते हुए कहा, ‘मैं
गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करता लेकिन मुझे ऐसा करने को विवश होना पड़ा.' ढाका की एक कोर्ट के जज
ने कहा, ‘मुझे सरकारी वकील की इस दलील से सहमत होना पड़ा कि गिरफ्तारी वारंट जारी किए बिना
सुनवाई में प्रगति नहीं हो सकती.’
'जेल भेजने का नहीं है इरादा'
जमादार ने कहा कि खालिदा की
उम्र को देखते हुए उनको जेल भेजने का उनका कोई इरादा नहीं है और अगर वह निर्दोष पाई जाती हैं तो वह
बरी हो जाएंगी. अभियोजन पक्ष के मुख्य वकील मुशर्रफ हुसैन काजोल ने इससे पहले अदालत से कहा कि वह
खालिदा के ‘ओहदे, सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा तथा उम्र’ को देखते हुए वह जमानत का विरोध नहीं
करेंगे.
इनपुट भाषा