बांग्लादेश हाई कोर्ट ने सत्ता से बेदखल की गईं शेख हसीना की रैली पर ग्रेनेड हमले के एक मामले में निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. इसमें पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान और पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर भी शामिल हैं. यह फैसला 2004 में शेख हसीना की रैली पर हुए अटैक से जुड़े मामले में सुनाया गया है.
हाई कोर्ट के जज जस्टिस एकेएम असदुज्जमान और सैयद एनायेत हुसैन की बेंच ने फैसला सुनाया और सभी 49 आरोपियों को बरी कर दिया. यह विवादास्पद मामला बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला माना जाता है.
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2004 में शेख हसीना की रैली में हुआ था ग्रेनेड अटैक
21 अगस्त 2004 को ढाका के बंगबंधु एवेन्यू में आयोजित इस रैली के दौरान कई ग्रेनेड फेंके गए थे, जिसकी वजह से 24 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 300 लोग घायल हुए थे. इस हमले में तत्कालीन विपक्ष नेता शेख हसीना बाल-बाल बच गई थीं.
इससे पहले, अक्टूबर 2018 में ढाका की एक अदालत ने लुत्फोज्जमान बाबर सहित 19 लोगों को मौत की सजा दी थी और तारिक रहमान समेत 19 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालती कार्यवाही में प्रमुख गवाही के रूप में प्रस्तुत हुए बांग्लादेश के जासूसी एजेंसी डीजीएफआई के पूर्व प्रमुख ने कहा था कि उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर हमलावरों को सुरक्षा दी गई थी.
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हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को अवैध बताया
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को "अवैध" करार दिया, क्योंकि यह पूरी तरह से हर्खात-उल-जिहाद अल-इस्लामी (हुजी) के प्रमुख मुफ्ती अब्दुल हन्नान के कबूलनामे पर आधारित था, जिसे मामले में पहले ही फांसी दी जा चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उसका कबूलनामा जबरन लिया गया था, और संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा जांच ठीक से नहीं किया गया था. अब कानून के जानकार मान रहे हैं कि न्याय की जीत हुई है.