बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व सैन्य जनरलों व एक पूर्व पुलिस प्रमुख सहित 11 अन्य लोगों के खिलाफ 'जबरन गायब किए जाने' की घटनाओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
पिछले साल अगस्त में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद अवामी लीग सरकार गिर गई थी और पूर्व पीएम शेख हसीना भागकर भारत आ गई थीं. ट्रिब्यूनल ने अब तक उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं. आईसीटी के एक अधिकारी ने कहा, 'ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार ने अभियोजन पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी किया.'
12 लोगों को गिरफ्तार करने के निर्देश
पुलिस महानिरीक्षक को शेख हसीना समेत 12 लोगों को गिरफ्तार करने और कई सौ लोगों के जबरन गायब होने की शिकायतों पर दर्ज मामले में 12 फरवरी को ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया है.
इस मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के तत्कालीन रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी और पूर्व आईजीपी बेनजीर अहमद का भी नाम है. सिद्दीकी फिलहाल हिरासत में हैं, जबकि अहमद फरार बताए जा रहे हैं.
गिरफ्तारियां नहीं हुईं तो देनी होगी प्रोग्रेस रिपोर्ट
आईसीटी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अधिकांश आरोपियों के नामों का खुलासा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होनी है. ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया है कि अगर जांच पूरी हो जाती है तो उसी दिन रिपोर्ट पेश की जाए.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर जांच रिपोर्ट तब तक पेश नहीं की जा सकी, तो कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गिरफ्तारियों पर प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. इस्लाम ने ट्रिब्यूनल को बताया कि अपदस्थ सरकार ने राज्य के संरक्षण में जबरन गायब होने का कल्चर स्थापित कर दिया था.
आईसीटी में दर्ज 60 केस
अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद, जबरन गायब किए जाने, हत्या, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के कम से कम 60 मामले आईसीटी में दर्ज किए गए, जिनमें शेख हसीना, उनकी पार्टी और उसके सहयोगियों के नेताओं और विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाए गए.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने पिछले महीने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें आयोग ने कहा कि उसने जबरन गायब किए जाने की 1,676 शिकायतें दर्ज कीं और अब तक 758 की जांच की है, जिनमें से 27 प्रतिशत पीड़ित कभी वापस नहीं आए.