बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. बीएनपी का कहना है कि उन्हें प्रत्यर्पित किया जाए ताकि वो देश वापस आकर हत्या और दूसरे मुकदमों का सामना करें.
बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के मद्देनजर शेख हसीना 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ भारत आ गई थीं. एक महीने तक चले प्रदर्शनों में 450 लोगों की मौत हो गई जिसे लेकर अब शेख हसीना के खिलाफ तीन जांच शुरू की गई हैं.
भारत में रह रहीं शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश में बार-बार ये मांग उठ रही है कि उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाए. बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम आलमगीर ने भारत से कहा है, 'हमारी मांग है कि आपको उन्हें कानूनी तरीके से बांग्लादेश की सरकार को सौंप देना चाहिए.'
आलमगीर ने कहा कि भारत ने हसीना को शरण दे रखी है जो लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता से मेल नहीं खाता है. उन्होंने कहा, 'वहां रहते हुए उन्होंने (हसीना ने) बांग्लादेश में हुए कई आंदोलनों को दबाने के लिए षड्यंत्र रचे हैं.'
बीएनपी महासचिव आलमगीर ने आरोप लगाया कि शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग नई दिल्ली में छात्रों की जीत को झूठ साबित करने का षड्यंत्र रच रही है.
उन्होंने कहा, 'मैं मजबूती से यह बात कह रहा हूं और हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि बांग्लादेश की दुश्मन को शरण देने के लिए भारत को हमारे लोगों का प्यार नहीं मिलेगा.'
भारत और बांग्लादेश के बीच की प्रत्यर्पण संधि
भारत और बांग्लादेश ने साल 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किया था जिसमें दोनों देश एक-दूसरे के देशों से भागकर आए लोगों यानी भगौड़ों को प्रत्यर्पित करते हैं.
हालांकि, द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि राजनीति से संबंधित लोगों पर लागू नहीं होती जब तक कि भगौड़े इंसान पर हत्या जैसे संगीन आरोप न हों.
बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की इस मांग को भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर इनकार कर सकता है. अनुच्छेद 8 में कहा गया है कि अगर प्रत्यर्पण की मांग 'अच्छी मंशा से या फिर न्याय के हित' में न हो तो उससे इनकार किया जा सकता है.
बीएनपी की मुखिया पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का कहना है कि शेख हसीना के अपराध प्रत्यर्पण योग्य हैं इसलिए उन्हें भारत से वापस बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए. शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद खालिदा जिया को हाउस अरेस्ट से आजाद हुई थीं.
'भारत की बड़ी गलती...'
बीएनपी के एक और नेता अब्दुल मोइन खान ने कहा है कि भारत ने बांग्लादेश के सभी लोगों के साथ संबंध मजबूत करने के बजाए केवल एक व्यक्ति से दोस्ती रखी जो भारत की बड़ी राजनीतिक गलती है.
उन्होंने कहा, 'भारत के विदेश नीति दिग्गजों ने बहुत बड़ी भूल की है. उन्होंने दोनों सरकारों के बीच दोस्ती को बढ़ावा दिया और कायम रखा, न कि दोनों देशों के लोगों के बीच की दोस्ती को. यह एक नीतिगत भूल है. भारत सरकार ने गलती से सिर्फ एक व्यक्ति पर भरोसा रखने का फैसला किया था.'