बांग्लादेश (Bangladesh) के राष्ट्रपति ने मौजूदा संसद को भंग करने का ऐलान किया है, जिसका गठन जनवरी 2024 के चुनाव के बाद हुआ था. इसके अलावा, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने ऐलान किया कि बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को तुरंत रिहा किया जाएगा. राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी प्रेस बयान के मुताबिक, विपक्षी पार्टी के सदस्यों के साथ मीटिंग में फैसला लिया गया.
नेताओं और छात्रों को तुरंत रिहा करने का आदेश
बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुखों और विपक्षी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया. इस दौरान बिना किसी देरी के बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया गया. बैठक में सर्वसम्मति से बांग्लादेश जनता पार्टी (BJP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया और आरक्षण आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए छात्र नेताओं सहित सभी अन्य राजनीतिक कैदियों को तत्काल रिहा करने का फैसला किया गया.
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हिंसा के खिलाफ कार्रवाई का आदेश
देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने में लोगों से सहयोग करने का आग्रह किया गया. सेना को लूटपाट और किसी भी हिंसक घटना के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. इसके साथ ही, यह भी फैसला लिया गया कि बिना किसी देरी के बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया को रिहा किया जाए.
देश छोड़कर भागीं शेख हसीना
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का पद छोड़कर शेख हसीना को अपना देश भी छोड़ना पड़ा है, जो फिलहाल इस वक्त भारत में हैं. गाजियबाद के हिंडन एयरबेस पर शेख हसीना का विमान आकर रुका है. उधर बांग्लादेश में भीड़ बगावत के बाद सड़कों पर है. जिसने दोपहर में पीएम आवास में घुसकर खूब लूटापट की. उसके बाद अवामी लीग के कई सांसदों के घर, दफ्तर और मंत्रियों के घर पर भी हमला हुआ और आगजनी की गई है. बांग्लादेश में चार हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया गया है. पूरी दुनिया की नजर इस वक्त बांग्लादेश पर है. साथ ही भारत पर भी क्योंकि शेख हसीना अभी भारत में ही हैं.
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जनता ने तोड़ी मुजीबुर्रहमान की मूर्ति
बांग्लादेश से जगह-जगह हो रही हिंसा के विजुअल्स सामने आ रहा है. एक वीडियो में देखा गया कि साल 1971 में बांग्लादेश को आजादी दिलाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर लोग उसे हथौड़े से तोड़ने लगते हैं. सवाल यह है कि क्या बंग बंधु कहे गए बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को खंड-खंड करने की वजह उन्हीं की बेटी शेख हसीना हैं, जिन्हें बांग्लादेश में लोकतंत्र की 'लौह महिला' कहा गया?