आर्थिक संकट और महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तान कंगाली की कगार पर पहुंच गया है. ऐसे में पाकिस्तान अब आर्थिक संकट से उबरने के लिए तमाम दांव चल रहा है. कभी वह अमेरिका, चीन और अरब देशों से 'भीख का कटोरा' लेकर आर्थिक मदद मांग रहा है, तो कभी पड़ोसी देशों के साथ शांति स्थापित करने की बात कर रहा है. इन सबके बीच पाकिस्तान ने अब सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने का फैसला किया है.
द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की बनाई हुई नेशनल ऑस्टेरिटी कमेटी आर्थिक संकट से उबरने के लिए तमाम उपायों पर विचार कर रही है. कमेटी ने सरकारी कर्मचारियों की सैलरी 10% तक काटने का भी प्रस्ताव दिया है. इतना ही नहीं कमेटी ने मंत्रालयों-विभागों के खर्च में 15% की कटौती का प्रस्ताव रखा है. साथ ही मंत्रियों की संख्या कम करने की सलाह दी है. कमेटी ने सरकार के सलाहकारों की संख्या को 78 से घटाकर 30 करने की भी सिफारिश की है. जबकि बाकी बिना पैसे के काम करेंगे.
दिन ब दिन खराब हो रही हालत
पाकिस्तान की हालत खराब होती जा रही है. पाकिस्तान में आटे-प्याज जैसी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो रहा है. आलम ये है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का दम फूल रहा है. गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा पाकिस्तान विदेशों की दया पर निर्भर हो गया है. आर्थिक तंगहाली झेल रहे पाकिस्तान के लिए हर एक दिन संकट भरा गुजर रहा है. पाकिस्तान की माली हालत यह है कि पाकिस्तान के पास एक महीने के आयात के लिए भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है. सऊदी अरब, यूएई से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार साल 2014 के स्तर पर पहुंच चुका है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान के पास केवल तीन हफ्तों के लायक ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है. वहीं महंगाई दर 25 फीसदी के करीब है. इस बीच गेहूं संकट ने देश में आटे का अकाल ला दिया है. यहां आटे की कीमत 150 रुपये प्रति किलो से ज्यादा हो गई है. रोटी के लिए मारामारी की तस्वीरें और वीडियो देश की खस्ता हालत की साफ तस्वीर पेश कर रही है. लोग आटे से लदे ट्रकों का कई किलोमीटर पीछा कर रहे हैं, तो एक-एक बोरी के लिए लोग आपस में बड़ झगड़ रहे हैं.
कंगाली की कगार पर अर्थव्यवस्था
महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के चलते लड़खड़ाई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कंगाली की कगार पर पहुंच गई है. पहले से ही कर्ज तले दबे देश की सरकार अब दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मदद मांग रही है, लेकिन उसे लोन देने के लिए कोई तैयार नजर नहीं आ रहा है. एक अन्य रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में नकदी संकट इस कदर गहरा गया है कि शिपिंग एजेंटों ने भी चेतावनी दे दी है कि विदेशी शिपिंग कंपनियां उसके लिए अपनी सेवाएं बंद करने पर विचार कर रही हैं.