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गाजा से इजराइल की ओर दागे गए दो रॉकेट, बेंजामिन नेतन्याहू ने बीच में ही छोड़ दी रैली

सेना ने एक बयान में कहा कि गाजा पट्टी से हमास की ओर से दो रॉकेट दागे गए, लेकिन दोनों रॉकेट को इजराइल की आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया.

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बेंजामिन नेतन्याहू (फाइल फोटो)
बेंजामिन नेतन्याहू (फाइल फोटो)

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  • इजराइल की ओर दागे गए रॉकेट
  • बेंजामिन नेतन्याहू कर रहे थे चुनावी रैली

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एशदोद में अपनी चुनावी रैली बीच में ही छोड़नी पड़ी. दरअसल, गाजा की ओर से रॉकेट दागे गए, जिसके बाद नेतन्याहू को अपनी जनसभा खत्म करनी पड़ी. एक स्थानीय चैनल के वीडियो के मुताबिक नेतन्याहू मंच से बोल रहे थे, लेकिन वहां मौजूद उनके सुरक्षाकर्मी अचानक उन्हें उतारकर सुरक्षित जगह पर ले गए.

सेना ने एक बयान में कहा कि गाजा पट्टी से हमास की ओर से दो रॉकेट दागे गए, लेकिन दोनों रॉकेट को इजराइल की आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया. बयान में कहा गया कि एशदोद और और पास के ही एशकेलॉन में सायरन की आवाज सुनाई दी.

सेना ने आगे कहा कि वह इजराइल के नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ अपनी कार्रवाई को जारी रखेगी और गाजा पट्टी में होने वाली हर चीज के लिए हमास को ही जिम्मेदार ठहराएगी. एशदोद में जब सायरन की आवाज सुनाई दी तो उस दौरान नेतन्याहू के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमैन भी वहां मौजूद थे और वो अपने समर्थकों से बात कर रहे थे.

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उन्होंने कहा कि घटना साबित करती है कि नेतन्याहू की आतंक के प्रति समर्पण की नीति दिवालिया है. लिबरमैन ने गाजा सीजफायर डील के बाद नवंबर में रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं फिलिस्तीनियों ने कहा कि इजराइल ने मध्य गाजा के डीर अल बलाह शहर के पास कई हवाई हमले किए.

नेतन्याहू ने की बैठक

इजराइल की ओर रॉकेट दागे जाने के बाद नेतन्याहू ने रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. यह गाजा और लेबनान के साथ इजरायल की सीमा पर तनाव की नवीनतम घटना है. इजराइल अपने चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम सप्ताह में प्रवेश कर चुका है. हमास की सैन्य शाखा ने बताया कि तटीय एन्क्लेव में सोमवार और मंगलवार की रात एक इजराइली ड्रोन मारा गया था.

इजराइल में 17 सितंबर को चुनाव

इजराइल में 17 सितंबर को आम चुनाव होने हैं. मई में हुए आम चुनावों के नतीजों में बेंजामिन नेतन्याहू को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था. वह सरकार बनाने में असफल रहे थे. इसके बाद इजराइल की संसद नेसेट ने देश में दोबारा चुनाव कराने का फैसला लिया.

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