जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल ने 25 साल पहले शांतिपूर्ण तरीके से दीवार ढहाने के लिए साहसी नागरिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह यादगार दिन साबित करता है कि ‘सपने सच हो सकते हैं.’
पूरब में कम्युनिस्ट शासन के दौरान पली-बढ़ीं मर्केल स्मारक स्थल पर बोल रही थीं. सोवियत संघ की ओर भागने के क्रम में बर्लिन में 138 लोग मारे गए थे.
मर्केल ने अपने भावुक संबोधन में कहा कि नौ नवंबर, 1989 की सीख यह थी कि बर्लिन की दीवार के ढहने का संदेश है- ‘हम बेहतरी के लिए चीजें बदल सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि यह फिर से एक हुए उनके देश और दुनिया के लिए एक सचाई है. खासकर यूक्रेन, सीरिया, इराक और दुनिया के कई अन्य क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए जहां आजादी और मानवाधिकार को रौंद डाला गया है.
मर्केल ने कहा, ‘यह आज और भविष्य में तानाशाही, हिंसा, विचारधारा और शत्रुता की दीवार तोड़ डालने की हमारी क्षमता में विश्वास का संदेश है.’ मर्केल ने नौ नवंबर की याद नाजी शासन के दौरान जर्मनी में यहूदियों के नरसंहार की बरसी के तौर पर भी की. उन्होंने इसे शर्मनाक और अपमान का दिन बताया. उन्होंने पूछा, ‘कैसे वो दिन खुशी और जश्न का दिन हो सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम जमर्नवासी कभी नहीं भूलेंगे कि मध्य और पूर्वी यूरोप में आजादी व लोकतंत्र के लिए आंदोलनों ने हमारे हालिया इतिहास में खुशी की राह बनाई.’
---इनपुट भाषा से