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क्या भारत-पाकिस्तान के बीच बैक चैनल से हो रही बातचीत? आर्थिक संकट से जूझ रहे PAK ने कही ये बात

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच सभी तरह के संबंध तनावपूर्ण हो गए. जब केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए.

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पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ (फाइल फोटो)
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ (फाइल फोटो)

पाकिस्तान का कहना है कि वह भारत से बैक चैनल से कोई बातचीत नहीं कर रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को यह दावा किया. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में भारत और पाकिस्तान के बीच बैक चैनल से कोई बातचीत नहीं हुई है. 

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पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि मौजूदा समय में पाकिस्तान और भारत के बीच कोई बैकचैनल नहीं है. भारत लगातार ये कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है. लेकिन इससे पहले पाकिस्तान को आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाना होगा. 

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच सभी तरह के संबंध तनावपूर्ण हो गए. जब केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए. 

इतना ही नहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं को द्विपक्षीय सिंधु जल संधि का उल्लंघन करते हुए विकसित किया गया था. यह मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत में है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का मानना ​​है कि इन परियोजनाओं को सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन कर विकसित किया गया था. इसलिए, इन मामलों में पाकिस्तान की ओर से कुशलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया गया है; हमें विश्वास है कि हमारे पास एक ठोस मामला है. 

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आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. घटते विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से पाकिस्तान की सरकार जरूर वस्तुओं का आयात (Import) करने में सक्षम नहीं है. इस वजह से आटे से लेकर चावल और तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. राजकोषीय संकट की वजह से पाकिस्तान कर्ज के जाल में फंस चुका है. आर्थिक संकट पर काबू पाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल जून में गैस की कीमत और बिजली की दरों में इजाफा किया था. इसके अलावा जनता पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ भी डाल दिया था.

क्या पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आएगा भारत? 

पाकिस्तान की आर्थिक मदद से जुड़े सवाल पर हाल ही में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसके अपने कार्यों और उसकी पसंद से निर्धारित होता है. विदेश मंत्री ने कहा कि यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह अपनी आर्थिक परेशानियों से कैसे बाहर निकले. भारत की ओर से श्रीलंका को दी गई मदद का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने गंभीर आर्थिक संकट में श्रीलंका की मदद की. लेकिन भारत और श्रीलंका के बीच संबंध पाकिस्तान से बिल्कुल अलग हैं. उन्होंने कहा था, पाकिस्तान के साथ आज हमारा ऐसा कोई संबंध नहीं है कि हम सीधे उस प्रक्रिया (मदद) में शामिल हो सकें. यह हमारे पड़ोसी देश पर निर्भर है कि वे इससे उबरने के लिए कोई रास्ता निकालें.
 

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