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G-20 से बौखलाए पाकिस्तान के नरम पड़े तेवर, बिलावल ने बताया क्यों जरूरी था भारत दौरा

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संसद की विदेश मामलों की स्थाई समिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए जरुरी था कि उसके मामले और दृष्टिकोण को ना सिर्फ भारत के सामने बल्कि एससीओ के अन्य सहयोगी देशों के समक्ष रखा जाए.

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बिलावल भुट्टो जरदारी
बिलावल भुट्टो जरदारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी इस महीने की शुरुआत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने भारत आए थे. उनका यह दौरा भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों में खूब चर्चा में रहा था. लेकिन अब बिलावल ने अपने भारत दौरे को लेकर कहा है कि उनका यह दौरा पाकिस्तान के लिए बहुत सकारात्मक और सफल रहा है.

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बिलावल ने संसद की विदेश मामलों की स्थाई समिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए जरुरी था कि उसके मामले और दृष्टिकोण को ना सिर्फ भारत के सामने बल्कि एससीओ के अन्य सहयोगी देशों के समक्ष रखा जाए.

उन्होंने कहा कि जहां तक कश्मीर मामले का सवाल है, भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दों और बहुलवाद की जिम्मेदारियों का सवाल है, भारत दौरे के बाद मेरा निष्कर्ष यह है कि एससीओ में हिस्सा लेना सकारात्मक और सफल रहा.

उन्होंने समिति को बताया कि हमने सोचा था कि हमें पाकिस्तान के नजरिए को न सिर्फ भारत के सामने बल्कि अन्य देशों के सामने भी रखना चाहिए. 

बता दें कि बिलावल एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने चार मई को गोवा गए थे. यह 2011 के बात किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला भारत दौरा रहा.

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G-20 की सफलता से चिढ़ गया था पाकिस्तान

भारत इस साल जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ये बैठकें हो रही हैं. इन शहरों में श्रीनगर को भी चुना गया था. इस बैठक को लेकर पाकिस्तान पूरी तरह से तिलमिलाया हुआ है. इन बैठकों को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर में 'भारत की बर्बरता' पर आंख मूंद ली है.

बिलावल ने कहा था कि भारत कश्मीर में बैठक की मेजबानी कर जी-20 अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है. यह विश्व के मंच पर भारत के अहंकार का एक और प्रदर्शन है.

कैसे रहे हैं दोनों देशों के रिश्ते?

1947 में दोनों देशों के आजाद होने के बाद से ही रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. दोनों देश अब तक तीन युद्ध लड़ चुके हैं. इनमें से दो युद्ध कश्मीर के लिए हुए हैं.

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी तल्ख भरे रहे हैं. आखिरी बार 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के तब के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आए थे. उनके बाद से किसी भी पाकिस्तानी नेता ने भारत का दौरा नहीं किया है.

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हालांकि, इसके बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवाज शरीफ की नातिन मेहरुन्निसा की शादी में शामिल होने पाकिस्तान पहुंचे थे. उसी दिन नवाज शरीफ का जन्मदिन भी था. प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा अचानक हुआ था.

2016 में उरी हमला और फिर 2019 में पुलवामा हमले के बाद रिश्ते और बिगड़ गए. पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बन गए थे. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइस पॉम्पियो ने दावा किया था कि इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के करीब आ गए थे.

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