पाकिस्तान के दावे वाले बलूचिस्तान प्रांत में लिबरेशन आर्मी ने पांच दिनों में दूसरा हमला किया है. यह एक सुसाइड अटैक था, जिसमें बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना के सात जवान मारे गए हैं. हालांकि, BLA का दावा है कि उसने इस अटैक में 90 सैनिक मारे हैं. एक के बाद एक लगातार हो रहे हमलों से पाकिस्तान का बड़ा आर्थिक नुकसान भी हो रहा है, इससे चीन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
रक्षा विशेषज्ञ हेमंत महाजन बताते हैं कि सेना पर लगातार हो रहे हमलों से साफ है कि पाकिस्तानी सेना का काफिला सुरक्षित नहीं है, और ये कि इन हमलों की वजह से चीन ने अशांत क्षेत्रों में इन्वेस्टमेंट पर रोक लगाने का फैसला किया है. आलम ये है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने चीनी प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की सुरक्षा में ही 40,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं, बावजूद इसके बड़े अटैक हो रहे हैं.
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CPEC को तो दूर, सेना खुद को नहीं रख पा रही सुरक्षित!
डिफेंस एक्सपर्ट बताते हैं कि CPEC को सुरक्षित रखना तो एक अलग बात है, लेकिन अगर पाकिस्तानी सेना खुद को ही सुरक्षित नहीं रख पाती हैं, और इतनी सारी हताहतें हो रही हैं तो चीन भी इससे नाखुश है. चीन मानता है कि पाकिस्तानी सेना की सीपीईसी प्रोजेक्ट को बचाने की क्षमता कमजोर है. बलूचिस्तान का पूरा क्षेत्र चीन के प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है, और पूरा क्षेत्र पाकिस्तान विरोधी समूहों के हमलों की जद में है.
चीन ने इशारा भी किया है कि जब तक हिंसा नहीं रोकी जाती, और बीएलए का खतरा कम नहीं होता तब तक इन क्षेत्रों में कोई भी नया प्रोजेक्ट या नया इन्वेस्टमेंट नहीं किया जाएगा. दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान पर बलूचिस्तान में सैन्य कार्रवाई का दबाव भी बनाता है, जिसके सैनिक और वर्कर्स अक्सर बीएलए के निशाने पर होते हैं.
पाकिस्तान पर बड़े मिलिट्री आपरेशन का दबाव बना रहा चीन!
चीन मानता रहा है कि रिश्वत और बातचीत से चीजें नियंत्रण में आ सकती हैं, लेकिन अब वो समझ चुका है कि खतरा सिर्फ हालात को नियंत्रण करने से नहीं खत्म होंगे. यही वजह है कि चीन पाकिस्तान पर सुरक्षा खतरों को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर मिलिट्री ऑपरेशन शुरू करने का दबाव डाल रहा है. हालांकि, पाकिस्तान समझ रहा है कि अगर उसने ऐसा किया तो हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं.
मसलन, बलूचिस्तान में 2001 के बाद से पाकिस्तानी सेना लगातार सैन्य कार्रवाई करती आ रही है, लेकिन अगर इसे बड़े स्केल पर किया जाता है तो स्थानीय स्तर पर तनाव और ज्यादा बढ़ जाएंगे. दूसरी तरफ बीएलए ने भी खुद को मजबूत किया है और उसके फाइटर्स के पास अडवांस हथियार हैं और एक्सपर्ट मानते हैं कि वे पहले से और ज्यादा खतरनाक हैं. जहां तक बलूचिस्तान में बड़े स्तर के मिलिट्री ऑपरेशन की बात है तो यह मुश्किल ही है.
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बलूचिस्तान में चीनी प्रोजेक्ट की सुरक्षा में पाकिस्तान ने उतारे अतिरिक्त सैनिक!
बलूचिस्तान में सुरक्षित माहौल स्थापित करना आर्थिक और सैन्य नजरिए से एक मुश्किल काम साबित हो सकता है. बलूचिस्तान समेत पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में चीन का 21 अरब डालर का इन्वेस्टमेंट है, इसकी सुरक्षा पर पाकिस्तान 200 मिलियन डालर खर्च करने का इच्छुक है.
बीएलए के लगातार हमलों की वजह से CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा पाकिस्तान ने सेना के दो अतिरिक्त डिविजन को लगाया है, लेकिन पिछले पांच दिनों में लगातार दो हमलों से यह प्रभावी साबित नहीं हो रहा है. कहा जाता है कि हमलों को रोकने के लिए चीन ने बीएलए को एक बैक चैनल के जरिए रिश्वत देने जैसे टैक्टिक्स भी अपनाए, लेकिन यह प्रभावी नहीं रहा, और हमले और भी ज्यादा बढ़े ही हैं.
मसलन, पाकिस्तान चीन के लिए रणनीतिक रूप से प्रासंगिक बना हुआ है, फिर भी यह आर्थिक रूप से उसके लिए नुकसानदेह बनता जा रहा है.