scorecardresearch
 

आतंकी संगठन 'Boko Haram' की कैद में स्कूली बच्चियों के साथ क्या हुआ, क्यों इनकी आपबीती ने दुनिया को हिला दिया?

शाहरुख खान की फिल्म पठान के ट्रेलर में ऐसी झलकियां दिखीं, जिससे अनुमान लग रहा है कि कहानी में बोको हराम का भी जिक्र होगा. खूंखार तरीके से नरसंहार के लिए कुख्यात ये चरमपंथी संगठन स्कूली बच्चियों को अगवा करने के लिए भी चर्चा में रहा. सालों बाद कैद से भागी लड़कियों ने बताया कि वे वहां लड़ाकों के लिए यौन गुलाम की तरह रखी जाती थीं.

Advertisement
X
बोको हराम ने साल 2014 से लेकर 2020 के दौरान कई बार स्कूली बच्चियों का अपहरण किया. सांकेतिक फोटो (AFP)
बोको हराम ने साल 2014 से लेकर 2020 के दौरान कई बार स्कूली बच्चियों का अपहरण किया. सांकेतिक फोटो (AFP)

पिछले दशक भर से भी ज्यादा वक्त से नाइजीरिया में बोको हराम आतंक मचा रहा है. कई बार इसे आतंकी संगठन ISIS से भी खतरनाक कहा जाता है, खासकर इसकी विचारधारा के चलते, जो स्कूलों को बंद करने और चरमपंथी तरीके से जीने पर जोर देती है. जानते हैं, क्या है इसकी कहानी और स्कूली बच्चियों में इसकी क्या दिलचस्पी रही, जो बीते सालों में कई बार उन्हें किडनैप करता रहा.  

Advertisement

बोको हराम की नींव ही नफरत पर रखी हुई
साल 2002 में बना ये संगठन एक चरमपंथी समूह है जिसका आधिकारिक नाम जमाते एहली सुन्ना लिदावति वल जिहाद है. वैसे नाइजीरिया की भाषा होसा में बोको हराम का मोटा-मोटी अर्थ है- वेस्टर्न सीख हराम है. वैसे बोको का असल मतलब है नकली, लेकिन इसे वेस्ट से जोड़ा गया. नाइजीरिया से किसी भी तरह की चुनी हुई सरकार हटाकर ये लोग अपनी सत्ता लाना चाहते हैं. एक तरह से समझा जाए तो ये ग्रुप नाइजीरिया का तालिबान है, जो मानता है कि एक धर्म विशेष को हर तरह की पश्चिमी चीज से दूर रहना चाहिए. 

लड़ाई का ट्रेनिंग सेंटर बन गया 
उनका इस बात पर खासा जोर है कि लड़कियां घर से बाहर न निकलें और न ही किसी तरह की फॉर्मल शिक्षा पाएं. इसी सोच को लेकर कट्टरपंथी इस्लामिक धर्मगुरु मोहम्मद यूसुफ ने संगठन बनाया. पहले ये गरीब नाइजीरियाई लड़कों को पढ़ाया करता. जल्द ही ये बच्चे उनका सॉफ्ट टारगेट हो गए. पढ़ाते हुए ही उनका ब्रेनवॉश होने लगा और संगठन बढ़ते हुए जिहादी भर्ती सेंटर में बदल गया. यहां लोगों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिलती ताकि वे इस्लामिक देश की स्थापना कर सकें.

Advertisement
boko haram extremist islamic group in nigeria and chibok school girls kidnapping
नाइजीरिया के 6 प्रांतों में बोको हराम का आतंक है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

साल 2009 संगठन के लिए नया चैप्टर लेकर आया
इस दौरान इस्लामिक शिक्षा तक सीमित इस संगठन ने बड़ा दांव खेलते हुए नाइजीरियाई शहरों पर हमले शुरू कर दिए. तब पलटवार में वहां की आर्मी ने आतंकियों को मारते हुए उसके हेडक्वॉर्टर पर ही कंट्रोल कर लिया और लीडर यूसुफ मारा गया. ये एक तरह से आतंक का खात्म हो सकता था, लेकिन हुआ उल्टा. ग्रुप में एक नया लीडर अबू बकर शेखु आया, जिसने नए लड़ाकों की भर्ती की, उन्हें ज्यादा खूंखार और कट्टरपंथी बना दिया. 

मास किडनैपिंग हुई
आतंकी सेना समेत आम लोगों पर भी हमले करने लगे. खासकर स्कूली बच्चियों को उठाया जाने लगा. साल 2014 में वहां के चिबोक शहर से लगभग 3 सौ बच्चियों को एक बोर्डिंग स्कूल से अगवा कर लिया गया. घटना के बाद हंगामा मच गया. किसी को भी नहीं पता था कि बच्चियां कहां और किन हालातों में हैं. इस दौरान एक कैंपेन भी चला- ब्रिंग बैक अवर गर्ल्स. हालांकि कोई फायदा नहीं हुआ. लगभग 4 सालों बाद इनमें से कुछ लड़कियां इस शर्त पर छोड़ी गईं कि बदले में सेना की कैद में रहते चरमपंथी लड़ाके छोड़ दिए जाएं. 

Advertisement

साल 2019 के आखिर में कुछ बच्चियां आतंकियों की कैद से भाग निकलीं. बोको हराम का सच जानने के लिए उन्हें तुरंत मेनस्ट्रीम नहीं किया गया, बल्कि सख्त निगरानी में अलग रखा गया. सरकार जानना चाहती थी कि उनसे साथ क्या हुआ, वे कहां रहीं और बाकी बच्चियां कहां हैं. बच्चियों ने तब टुकड़ों-टुकड़ों में जो बताया, उसने सबको हिलाकर रख दिया. इंटरनेशनल मीडिया ने इसे लंबे समय तक कवर किया, यहां तक कि यूनाइटेड नेशन्स में भी मामला उठा था. 

boko haram extremist islamic group in nigeria and chibok school girls kidnapping
नाइजीरिया में महिलाओं के हालात खास अच्छे नहीं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

क्या हुआ लड़कियों के साथ?
बोर्डिंग स्कूल से उठाने के बाद उन्हें काली पट्टियां बांधकर कहीं ले जाया गया. पट्टियां हटीं तो वे घने जंगलों में थीं, इतने घने कि सूरज की रोशनी भी नहीं आ पाती थी. शुरुआत के कुछ दिनों तक उनसे खाना पकाने, साफ-सफाई के लिए कहा गया. बाद में उन्हें टेंट्स में रख दिया गया. वहां बोको हराम के लड़ाके आते और अपने लिए लड़की चुनकर ले जाते थे. भागी हुई कई लड़कियां गर्भवती थीं. लौटने के बाद भी उनकी जिंदगी बदतर ही हुई क्योंकि नाइजीरिया में अबॉर्शन की इजाजत नहीं और न ही सिंगल मदर को सोसायटी में जगह मिलती है. 

क्या सेना भी चला रहा अबॉर्शन प्रोग्राम?
कुछ ही हफ्तों पहले रॉयटर्स ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में दावा किया कि बोको हराम के आने से नाइजीरियाई औरतों की जिंदगी लगभग बर्बाद हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक सेना और संगठन के बीच महिलाएं पिस रही हैं. बोको हराम के मिलिटेंट आते और महिलाओं का रेप करके उन्हें गर्भवती कर देते हैं, वहीं मिलिट्री उनका जबरन अबॉर्शन करा देती है. रिपोर्ट की मानें तो साल 2013 से लेकर अब तक सेना ने 10 हजार से ज्यादा महिलाओं का जबरन अबॉर्शन करवाया ताकि उनके बच्चे भी बड़े होकर आतंकी न बन जाएं. हालांकि रॉयटर्स में ही इस बात का जिक्र भी है कि सेना के अधिकारियों ने पूछे जाने पर इस बात से साफ इनकार दिया. 

Advertisement

देश के राष्ट्रपति का आया बयान
इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट आने के तुरंत बाद हाल ही में नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी ने अपने यहां से बोको हराम के खात्मे का एलान किया है. 10 जनवरी को एक सार्वजनिक सभा में राष्ट्रपति ने कहा कि अपने साढ़े 7 सालों के कार्यकाल में मैंने आतंक को खत्म करने का अपना वादा पूरा कर दिया. बता दें कि 2014 में बच्चियों की मास किडनैपिंग के बाद बुहारी ने कहा था कि वे बोको हराम को पूरी तरह बंद करा देंगे.

जाते-जाते पठान फिल्म में बोको हराम की प्रेजेंस के बारे में जान लें. इसके ट्रेलर में एक सीन है जहां इंटेलिजेंस यूनिट लीड कर रही डिम्पल कपाड़िया को किसी मिलिटेंट गुट के बारे में जानकारी दी जा रही है. सीन में स्क्रीन पर एक न्यूज कटिंग नजर आ रही है, जो बता रही है कि अदन की खाड़ी में, बोको-हरम ने नॉर्वे का के एक शिप पर हमला कर के उसे तबाह कर दिया. इससे माना जा रहा है कि फिल्म में नाइजीरिया और बोको हराम का उल्लेख हो सकता है. 

 

Advertisement
Advertisement