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ट्रैक्टर-टैंक्स के साथ ब्रिटेन की राजधानी लंदन को क्यों घेरने पहुंचे सैकड़ों किसान?

2020-21 में भारत की राजधानी दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ प्रदर्शन किया था, और अब ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी ऐसा ही नजारा देखा जा रहा है. ब्रिटिश किसान कीर स्टार्मर सरकार की नई इनहेरिटेंस टैक्स योजना के खिलाफ सैकड़ों ट्रैक्टर और टैंक्स के साथ विरोध कर रहे हैं, जिसमें कृषि उत्पादों पर 20% टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है.

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लंदन में किसानों का प्रदर्शन
लंदन में किसानों का प्रदर्शन

भारत की राजधानी दिल्ली में 2020-21 में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ विरोध-प्रदर्शन किया था. कुछ ऐसा ही नजारा अभी ब्रिटेन की राजधानी लंदन में देखा जा रहा है. भारी संख्या में किसान सोमवार को ट्रैक्टर-टैंक्स के साथ लंदन पहुंच गए. कुछ दिनों पहले उन्होंने राजधानी की तरफ मार्च का ऐलान किया था. वे कीर स्टार्मर सरकार के न्यू इनहेरिटेंस टैक्स प्लान का विरोध कर रहे हैं, जिसमें एक मिलियन पाउंड्स से ज्यादा कीमतों के कृषि उत्पादों पर 20 फीसदी टैक्स लगाने का प्लान है.

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ब्रिटिश किसान सोमवार को सैकड़ों ट्रैक्टर्स और टैंक्स के साथ सेंट्रल लंदन में पार्लियामेंट स्क्वायर तक पहुंच गए. मसलन, मिलिट्री टैंक्स किसानों के समर्थन में रैली में शामिल हुए. टैंक्स पर यह लिखा भी देखा जा सकता है, "हम अपने किसानों के साथ हैं." कुछ इसी तरह का नजारा लगभग हर साल यूरोपीय देशों जैसे कि फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन, इटली और पोलैंड में सैकड़ों किसान ट्रैंक्टर्स के साथ सड़कों पर विरोध मार्च के लिए उतरते हैं.

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ब्रिटिश किसान इनहेरिटेंस टैक्स लगाने का कर रहे विरोध

दरअसस, लेबर पार्टी की कीर स्टार्मर सरकार ने इनहेरिटेंस टैक्स में बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इसमें एक मिलियन पाउंड्स की कीमतों की फसलों पर 20 फीसदी टैक्स लगाने की योजना बनाई गई है, जिसका किसान कम्युनिटी विरोध कर रहे हैं. यह प्रस्तावित टैक्स अप्रैल 2026 से लागू होगा.

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लंदन में किसानों का मार्च सेव ब्रिटिश फार्मिंग मूवमेंट्स द्वारा आयोजित किया गया, जो कि पिछले साल नीति के लागू होने के बाद से तीसरा बड़ा मार्च रहा. चांसलर रचेल रीव्स ने जब से टैक्स का प्रस्ताव पेश किया है, तब से किसान इसका विरोध कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इनहेरिटेंस टैक्स से फैमिली फार्म समाप्त हो जाएगा, जेनरेशंस से चली आ रही किसानी में फूट पड़ेगी और ये कि इस पॉलिसी के जरिए किसानों को टैक्स का भुगतान करने के लिए अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

किसान सरकार से नीतियों पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं और इस मांग के साथ ट्रैक्टर्स और टैंक्स पर झंडा लहराते हुए वे सेंट्रल लंदन के व्हाइट हॉल से ट्रैफल्गर स्क्वायर तक मार्च किया. हालांकि, किसान मार्च का आयोजन करने में शामिल लिज वेब्स्टर बताती हैं कि सरकार फूड क्राइसिस की तरफ बढ़ रही है, और सरकार का कहना है कि ये नीति सरकारी सेवाओं की फंडिंग के लिए जरूरी है.

किसानों ने सरकार के सामने अपनी मांग रखते हुए ऑनलाइन कैंपेन भी लॉन्च किया था, और कहा जा रहा है कि 148,000 से ज्यादा सरकार की नीति के खिलाफ ई-साइन हुए हैं. कुछ बड़े नेता किसानों के इस मार्च को समर्थन दे रहे हैं और वे मार्च का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसानों ने साफतौर से राजनीतिक पार्टियों और नेताओं से दूरी बना ली है.

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ब्रिटिश किसानों को फूड सिक्योरिटी का खतरा!

मार्च में शामिल कुछ किसानों का कहना है कि बात सिर्फ टैक्स की नहीं है और इसके इतर और भी कुछ किए जा सकते हैं. जैसे कि सिमॉन ब्रॉड का कहना है कि इस तरह की नीतियों से सरकार को इंपोर्ट पर ज्यादा निर्भर होना पड़ेगा, जो देश की फूड सिक्योरिटी के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, "सरकार को दुनिया में चल रही हालिया घटनाओं पर ध्यान देनी चाहिए, जहां हमें अपने फूड सप्लाई को कंट्रोल करने की जरूरत है."

अन्य किसानों का कहना है कि कई फैमिली फार्म्स में तो ठीक ढंग से कैश फ्लो भी नहीं हो रा है, तो फिर वे इतना भारी भरकम टैक्स कहां से दे पाएंगे. एक अन्य किसान ने कहा कि अगर वे अपनी जमीन खो देंगे तो फिर अपनी खेती कैसे और कहां करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर नीति लागू होती है तो टैक्स देने के लिए उन्हें अपने आधे फार्म्स को बेचना पड़ेगा. 

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