ब्रिटेन में लिज ट्रस ने जब से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया है, देश में नए पीएम को लेकर तलाश फिर तेज हो गई है. नाम तो इस बार भी कई के सामने आ रहे हैं, लेकिन रेस में सबसे आगे भारतीय मूल के ऋषि सुनक और पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन चल रहे हैं. इन दोनों को पीएम बनने का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. ऋषि तो क्योंकि इससे पहले लिज ट्रस के साथ भी चुनावी मैदान में खड़े थे, ऐसे में उनका एक बार फिर रेस में होना हैरान नहीं करता है, वहीं बोरिस जॉनसन को भी क्योंकि 2019 में जनता से जबरदस्त जनादेश मिला था, ऐसे में एक बार फिर उनकी दावेदारी भी मजबूत दिख रही है.
ऋषि की पीएम बनने की कितनी संभावना?
बात सबसे पहले ऋषि सुनक की करते हैं जिन्हें कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्य बतौर पीएम देखना चाहते हैं. ऋषि ब्रिटेन के विदेश मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने गीता पर हाथ रख कसम खाई थी. वे जानी-मानी आईटी कंपनी इनफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद भी हैं. लेकिन बोरिस जॉनसन के कार्यकाल के दौरान उनकी भूमिका और उनके कई बयान सरकार के अंदर ही विवाद का विषय बन गए थे. बड़ी बात ये रही कि जब बोरिस जॉनसन के पीएम रहते उनके कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था, उसमें एक नाम ऋषि सुनक का भी था. इस्तीफा कई ने दिया लेकिन बोरिस की नजरों में उनकी सत्ता जाने की बड़ी वजह ऋषि सुनक रहे. इस वजह से ऋषि, बोरिस के लिए सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बन गए और जब नए प्रधानमंत्री को चुनने की बारी आई, उनकी तरफ से खुले तौर पर लिज ट्रस का समर्थन किया गया.
अब एक बार फिर ब्रिटेन में जो स्थिति बनी है, उसे देखते हुए पीएम रेस का मुकाबला बोरिस जॉनसन और ऋषि सुनक के बीच सिमट सकता है, यानी कि जो तल्खी पहले से चल रही है, वो और ज्यादा बढ़ सकती है. बड़ी बात ये भी है कि अब कई दूसरे उम्मीदवारों ने पीएम रेस से अपने नाम पीछे खींच लिए हैं. हाल ही में Ben Wallace ने खुद को पीएम रेस से बाहर कर लिया है. उनकी तरफ से साफ कहा गया है कि वे पीएम पद के लिए बोरिस जॉनसन का समर्थन करने वाले हैं. उनके अलावा वित्त मंत्री जेरेमी हंट, टॉम तुगेन्दाटा, माइकल गोव भी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, वे भी खुद को इस पीएम रेस से बाहर कर रहे हैं. यहां ये समझना भी जरूरी है कि ब्रिटेन में पीएम पद के लिए तीन से ज्यादा उम्मीदवारों का खड़े होना मुश्किल है. दरअसल, ब्रिटिश संसद में कुल 357 टोरी सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद) हैं. एक उम्मीदवार को बैलेट प्राप्त करने के लिए करीब 100 टोरी सांसदों का समर्थन चाहिए होगा. इस तरह से उम्मीदवारों की संख्या तीन से ज्यादा नहीं हो सकेगी.
बोरिस की क्या स्थिति है?
इसी वजह से प्रधानमंत्री रेस में ऋषि सुनक और बोरिस जॉनसन सबसे आगे चल रहे हैं. वैसे कहने तो बोरिस को भी अभी एक प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन जिन वजहों से उनका इस्तीफा हुआ था, वो कोई भूला नहीं है. पार्टीगेट और क्रिस पिंचर स्कैंडल ने जॉनसन के कार्यकाल पर ऐसा गृहण लगाया था कि उनकी पार्टी के ही कई सांसद उनके खिलाफ हो गए. हालत ऐसी हो गई थी कि उनके खिलाफ एक विश्वास प्रस्ताव लाया गया था. वो उसे जीत तो गए, लेकिन पार्टी के ही कई नेताओं ने उनके खिलाफ वोट डाला. यानी कि वो सभी उनका इस्तीफा चाहते थे. ऐसे में अब एक बार फिर जब बोरिस पीएम रेस में हैं, उनकी दावेदारी कई विवादों से घिरी हुई है.