ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को पटखनी देते हुए पांच सितंबर को प्रधानमंत्री पद संभाला था. लेकिन इस डेढ़ महीने में देश का राजनीतिक माहौल बिल्कुल बदल गया है. देश में गहराए आर्थिक संकट और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल ने ट्रस सरकार को हिलाकर रख दिया है.
आलम यह है कि लिज ट्रस का अपनी ही कंजरवेटिव पार्टी में पुरजोर विरोध हो रहा है. इन सबके बीच ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं. सुनक के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर सट्टा बाजार भी एक्टिव हो गया है.
ट्रस का मिनी-बजट गले की फांस बना
लिज ट्रस सरकार ने हाल ही में संसद में मिनी-बजट पेश किया था. इस बजट में उन्होंने टैक्स बढ़ोतरी और महंगाई पर रोक लगाने वाले कदम उठाए थे. लेकिन जल्द ही इन फैसलों को सरकार ने वापस ले लिया.
लिज ट्रस ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब कमरतोड़ महंगाई का सामना कर रही ब्रिटेन की जनता को उनसे बहुत उम्मीदें थीं. इसकी एक प्रमुख वजह यह भी थी कि ट्रस ने अपने चुनावी अभियान में जनता से लोक-लुभावन वादे किए थे. उन्हें सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने वाला एक प्रमुख चुनावी वादा टैक्स में कटौती करना था.
लिज ट्रस ने सत्ता में आने के बाद टैक्स में कटौती की लेकिन वह दो अक्टूबर को अपने चुनावी वादे से मुकर गई. उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले को फैसला वापस ले लिया. उनके इस फैसले से पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं.
लिज ट्रस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी
लिज ट्रस की कथनी और करनी में अंतर से पार्टी के भीतर ही बगावती सुर पैदा हो गए हैं. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि कंजरवेटिव पार्टी के 100 सांसदों ने ट्रस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रांडी को पत्र लिखा है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रस को 24 अक्टूबर तक प्रधानमंत्री पद से रुखस्त किया जा सकता है.
टोरी सांसदों क्रिस्पिन ब्लंट, एंड्रूय ब्रिजन और जेमी वॉलिस ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि ट्रस को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर ने ट्रस को देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बताया है.
जब भारतीय मूल के ऋषि सुनक को शिकस्त देते हुए देश की सत्ता संभाली थी. उस समय उनसे देश की उम्मीदें बहुत बढ़ गई थी, जिसकी वजह उनके लोक-लुभावन वादे भी रहे. लेकिन सत्ता संभालने के कुछ ही महीनों के भीतर उनकी लोकप्रियता में जितनी तेजी से गिरावट आई है, वह चौंकाने वाली है. लेकिन इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें ऊर्जा कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, कमरतोड़ महंगाई और पार्टी सांसदों की बगावत प्रमुख है.
चुनाव में गलत उम्मीदवार का समर्थन किया
हाल ही में एक सर्वे से पता चला कि कंजरवेटिव पार्टी के लगभग आधे समर्थकों ने माना है कि उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री चुनाव में गलत उम्मीदवार का समर्थन किया था. पिछले आम चुनाव में बोरिस जॉनसन को वोट देने वालों में 62 फीसदी का मानना है कि उनकी पार्टी ने ऋषि सुनक के बजाए लिज ट्रस का चुनाव कर गलत फैसला किया. जबकि सिर्फ 15 फीसदी का मानना है कि पार्टी सदस्यों ने सही फैसला लिया.
ब्रिटेन की खस्ता आर्थिक हालत विशेष रूप से लिज ट्रस की आर्थिक नीतियों ने टोरी सांसदों के बीच डर का माहौल पैदा किया. यही वजह है कि ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि लिज ट्रस की जगह ऋषि सुनक या पेनी मॉर्डेंट को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
ट्रस की दो टूक, हमने गलतियां की लेकिन पद नहीं छोड़ूंगी
अपने अब तक के डेढ़ महीने के कार्यकाल में चौतरफा आलोचनाओं से घिरी ट्रस के बयान ने भी राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. ट्रस ने अपने आर्थिक फैसलों के लिए देश से माफी मांगते हुए कहा कि मैं जानती हूं कि हमसे गलतियां हुई हैं. मुझे इन गलतियों को लेकर खेद है लेकिन मैं इन गलतियों को सुधारूंगी.
ट्रस ने कहा, मैंने नए वित्त मंत्री की नियुक्ति की है लेकिन हम वित्तीय स्थिरता भी लाए हैं. हम 2019 के मैनिफेस्टो पर चुनकर सत्ता में आए और मैं देश की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती हूं.
क्या प्रधानमंत्री को बर्खास्त किया जा सकता है?
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को सांसदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से बर्खास्त किया जा सकता है. लेकिन कंजरवेटिव पार्टी के नियमों के मुताबिक नेता को कार्यकाल के पहले साल में औपचारिक तौर पर इससे सुरक्षित माना जाता है. इसका मतलब है कि 2023 तक ट्रस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता.
हालांकि, यह भी साफ है कि कंजरवेटिव पार्टी से अत्यधिक दबाव की वजह से कंजरवेटिव पार्टी सांसदों की 1922 समिति नियमों में बदलाव कर सकती है और अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.
इसके लिए कंजरवेटिव पार्ठी के 355 सांसदों में से 15 फीसदी को 1922 समिति के चेयरमैन को पत्र लिखना पड़ेगा, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव क अनुरोध किया जाएगा. विपक्षी दल भी अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. अगर टोरी सांसद पर्याप्त संख्या में विपक्षी दलों के साथ खड़े होंगे तो प्रधानमंत्री को या तो पद से इस्तीफा देना पड़ेगा या फिर संसद भंग करनी पड़ेगी, जिससे नए सिरे चुनाव का रास्ता साफ होगा.