ब्रिटेन के बकिंघम पैलेस में नस्लवाद की घटना ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी. इस मामले में शाही परिवार से जुड़े एक सदस्य के इस्तीफे के बाद अब प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने नस्लवाद पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि नस्लवाद के आरोप जहां कहीं भी लगेंगे, उसका सामना किया जाना चाहिए.
'मैंने भी नस्लवाद झेला'
भारतीय मूल के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का कहना है कि उन्होंने भी अपने जीवन के शुरुआती सालों में नस्लवाद का सामना किया है, लेकिन यह देश अब इससे आगे बढ़ चुका है. हालांकि, सुनक ने नस्लवाद की इस घटना या ब्रिटिश राजशाही पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की.
उन्होंने कहा कि नस्लवाद से निपटने की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है. सुनक ने दो टूक कहा कि मुझे भी अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में नस्लवाद का सामना करना पड़ा है. लेकिन मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि बचपन में मेरे जो भी अनुभव रहे. मुझे नहीं लगता कि वैसा अनुभव किसी को आज होगा, क्योंकि हमारे देश ने नस्लवाद से निपटने में काफी प्रगति की है.
उन्होंने कहा कि लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हम जहां कहीं भी नस्लवाद देखते हैं, हमें उसका सामना करना चाहिए. यह सही है कि हम गलतियों से सबक लेते हैं और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते हैं.
बता दें कि सुनक का यह बयान प्रिंस विलियम की गॉडमदर लेडी सुसान हसी पर लगे नस्लवाद के आरोपों के मद्देनजर आया है.
बकिंघम पैलेस में मंगलवार को हुए एक कार्यक्रम के दौरान प्रिंस विलियम की गॉडमदर लेडी सुसान हसी पर नस्लवाद के आरोप लगे थे. उन्होंने इस दौरान ब्रिटेन की अश्वेत चैरिटी कार्यकर्ता नगोजी फुलानी (Ngozi Fulani) पर नस्लभेदी टिप्पणी की थी. मामले के तूल पकड़ने पर हसी ने इस्तीफा दे दिया था. नस्लाद के इन आरोपों पर बकिंघम पैलेस ने आधिकारिक बयान जारी कर इसकी निंदा की थी.