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ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के ताज में जड़े कोहिनूर हीरे का अब क्या होगा?

ब्रिटेन के इस शाही ताज में कोहिनूर के अलावा और भी कई बेशकीमती और दुर्लभ हीरे, जवाहरात जड़े हुए हैं. पंजाब पर ब्रिटिशों के कब्जे के बाद 1849 में इस हीरे को ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था. बाद में इस कोहिनूर को शाही ताज में जड़वा दिया गया था. कोहिनूर हीरा 105.6 कैरेट का है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता है.

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महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताज
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताज

ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक गद्दी संभालने वालीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को निधन हो गया. वह 96 साल की थीं. ब्रिटेन की शाही परंपरा के अनुसार महारानी के निधन के बाद उनके सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स को ब्रिटेन का राजा घोषित किया गया. लेकिन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में जड़े बेशकीमती कोहिनूर हीरे को लेकर लोगों में कौतूहल बना हुआ है. सवाल बना हुआ है कि महारानी के निधन के बाद उस कोहिनूर हीरे का क्या होगा. उसे किसे सौंपा जाएगा? कोहिनूर हीरे को लेकर बने हुए इस कौतूहल के बीच महारानी के निधन के तुरंत बाद ही कोहिनूर ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन के राजा बन चुके किंग चार्ल्स तृतीय की पत्नी डचेज ऑफ कॉर्नवेल (Duchess of Cornwall) कैमिला को कोहिनूर सौंप दिया जाएगा. डचेज ऑफ कॉर्नवेल को अब क्वीन कंसोर्ट (Queen Consort) के नाम से जाना जाएगा. उन्हें क्वीन मदर का बेशकीमती कोहिनूर से जड़ा ताज दिया जाएगा. 

दरअसल महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इस साल की शुरुआत में ऐलान किया था कि कैमिला को क्वीन कंसोर्ट के नाम से जाना जाएगा. हालांकि, 75 साल की कैमिला के पास किसी तरह की संवैधानिक शक्तियां नहीं होंगी. ऐसी पूरी संभावना जताई जा रही है कि किंग चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी के समय कैमिला को कोहिनूर से जड़ा यह ताज पहने देखा जा सकता है.

कोहिनूर जड़ा ताज पहने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

कोहिनूर हीरे का इतिहास

कोहिनूर हीरा 105.6 कैरेट का है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यह हीरा 14वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश की एक खदान से मिला था.लेकिन पंजाब पर ब्रिटिशों के कब्जे के बाद 1849 में इस हीरे को ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था. बाद में इस कोहिनूर को शाही ताज में जड़वा दिया गया था. ब्रिटेन के इस शाही ताज में कोहिनूर के अलावा और भी कई बेशकीमती और दुर्लभ हीरे, जवाहरात जड़े हुए हैं. तभी से कोहिनूर ब्रिटेन के शाही ताज में जड़ा हुआ है. हालांकि, भारत सहित चार देश कोहिनूर पर अपना दावा करते हैं.

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पढ़ें: 70 साल ब्रिटेन में सत्ता की सिरमौर रहीं एलिजाबेथ द्वितीय, तस्वीरों में देखें साम्राज्ञी की जिंदगी - World AajTak

ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक गद्दी संभालने वाली महारानी एलिजाबेथ के नाम और उनकी उम्र को आधुनिक एलिजाबेथ युग के तौर पर परिभाषित किया जाता है. 

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

भारत में कोहिनूर लौटाने की मांग उठी

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद एक बार फिर भारत में कोहिनूर को लौटाए जाने की मांग उठने लगी है. बता दें कि महारानी के ताज में दुनिया के कई दुर्लभ और बेशकीमती हीरे और जवाहरात जड़े हुए हैं, जिनमें कोहिनूर और अफ्रीका का बेशकीमती हीरा ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका भी है. इसकी कीमत अनुमानित रूप से 40 करोड़ डॉलर आंकी गई है.

ठीक इसी तरह अफ्रीका ने भी ब्रिटेन के शाही ताज में जड़े अपने बेशकीमती हीरे ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका को लौटाने की मांग की है.

दरअसल भारत और अफ्रीका ब्रिटिश उपनिवेशवाद रहे हैं जहां पहले ब्रिटेन का राज कायम था. कोहिनूर पर भारत अपने कानूनी हक का दावा करता है और लंबे समय से ब्रिटेन से उसे लौटाने की मांग करता आया है. इसके साथ ही अफ्रीका ने भी ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका को लौटाने की मांग की है. 

बता दें कि 70 सालों तक ब्रिटेन की गद्दी संभाल चुकीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय तीन बार 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा भी कर चुकी हैं. वह पहली बार भारत को आजादी मिलने के लगभग 15 साल बाद 1961 में अपने पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग ( Duke of Edinburgh) के साथ भारत दौरे पर आई थीं.वह 1961 में भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय गेस्ट ऑफ ऑनर थीं.उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने क्वीन का स्वागत करने के लिए रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम की मेजबानी भी की थी, जहां उन्होंने भाषण दिया था. उन्होंने अपने इस संबोधन में इस बेहतरीन मेहमाननवाजी के लिए भारत का आभार जताया था.

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गणतंत्र दिवस की परेड के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय आगरा के लिए रवाना हो गई थीं, जहां खुली जीप में सवार होकर उन्होंने ताजमहल तक का सफर किया. इस दौरान उन्होंने सड़कों पर उमड़ें हजारों लोगों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया. 

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