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ब्रिटेन ही नहीं, इन देशों ने भी बड़े फैसले लेने के लिए लिया जनमत संग्रह का सहारा

ब्रिटेन को यूरोपीय संघ का हिस्सा रहना है या उसे अलग होना इसके लिए जनमत संग्रह का सहारा लिया गया. लोगों ने अपनी राय जाहिर की और अब जो फैसला होगा ब्रिटेन की सरकार उसी पर अमल करेगी. लेकिन इससे पहले भी दुनिया भर के कई बड़े फैसले जनमतसंग्रह के जरिए लिए गए हैं. आइए बताते हैं आपको इनके बारे में.

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स्कॉटलैंड ने ठुकराई थी आजादी
स्कॉटलैंड ने ठुकराई थी आजादी

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ब्रिटेन को यूरोपीय संघ का हिस्सा रहना है या उसे अलग होना इसके लिए जनमत संग्रह का सहारा लिया गया. लोगों ने अपनी राय जाहिर की और अब जो फैसला होगा ब्रिटेन की सरकार उसी पर अमल करेगी. लेकिन इससे पहले भी दुनिया भर के कई बड़े फैसले जनमतसंग्रह के जरिए लिए गए हैं. आइए बताते हैं आपको इनके बारे में.

क्या होता है जनमतसंग्रह?
किसी विशेष प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए जब जनता का मत मांगा जाता है तो उसे जनमत संग्रह कहा जाता है. दूसरे शब्दों मे कहें तो जनमत संग्रह के जरिए किसी विषय विशेष पर जनता की राय जानी जाती है.

स्कॉटलैंड ने ठुकराई थी आजादी
सितंबर 2014 में स्कॉटलैंड में सत्ताधारी पार्टी ने जनमत संग्रह के जरिए लोगों से राय मांगी थी कि वे 'ग्रेट ब्रिटेन' का हिस्सा बने रहना चाहते हैं या नहीं? लेकिन 55 फीसदी जनता ने इसके खिलाफ वोट किया था और स्कॉटलैंड ब्रिटेन का हिस्सा बना रह गया. साल 1707 में स्कॉटलैंड ब्रिटेन में शामिल हुआ था. बता दें कि इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स प्रांत को मिलाकर ग्रेट ब्रिटेन बनता है.

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यूक्रेन की जनता ने चुना रूस का साथ
साल 2014 में ही संकट से जूझ रहे देश यूक्रेन के क्रीमिया में इसलिए जनमत संग्रह करवाया गया कि इसे रूस में शामिल हो जाना चाहिए या फिर यूक्रेन का ही हिस्सा रहना चाहिए. इस जनमत संग्रह में 97 फीसदी निवासियों ने रूस के समर्थन में वोट दिया. मास्को का कहना था कि क्रीमिया की 60 प्रतिशत आबादी रूसी मूल की है. इसलिए उन्हें फैसला लेने का हक है. लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों ने इस जनमत संग्रह को अवैध करार दिया था.

न्यूजीलैंड ने जनमतसंग्रह से चुना अपना झंडा
न्यूजीलैंड सरकार ने 2015-16 में दो चरणों में जनमत संग्रह करवा कर जनता से मौजूदा झंडे को बदलने के बारे में राय मांगी. हालांकि अधिकांश जनता ने मौजूदा झंडे के पक्ष में वोट किया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि न्यूजीलैंड के झंडे में ब्रिटेन के राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन शामिल था. इसे सरकार ने औपनिवेशिक शासन और उत्तर-औपनिवेशिक शासन का प्रतीक बताया था. जनमत संग्रह में 56.6 प्रतिशत जनता ने पुराने ध्वज को ही चुना.

ग्रीस ने ठुकराई थी बेलआउट की शर्तें
बीते साल गंभीर कर्ज में डूबे ग्रीस की जनता ने जनमत संग्रह के जरिए यूरोपीय देशों द्वारा लगाई जा रही बेलआउट की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था. ग्रीस के करीब 61 फीसदी लोगों ने 'न' पर मुहर लगाई थी. असल में ग्रीस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कर्ज की किस्त चुकाने में नाकाम हो गया था. यूरोपीयन यूनियन ने ग्रीस को नया आर्थिक पैकेज देने के लिए शर्ते रखी थीं, जिस पर जनता के रुख को जानने के लिए जनमत संग्रह करवाया गया था.

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