ब्रिटिश और पाकिस्तानी दोहरी नागरिकता वाले कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक अंजेम चौधरी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. उसे आतंकी संगठन का संचालन करने के लिए दोषी पाया गया है, जिसमें उसे 28 साल की सजा सुनाई गई है.
अंजेम चौधरी को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-मुहाजिरून (ALM) का संचालन करने और ऑनलाइन माध्यम से इसके प्रचार के लिए दोषी पाया गया. उसने इस संगठन की स्थापना 1996 में की थी और तब से वह संगठन के लिए काम कर रहा था. संगठन पर बैन न लगे, इसके लिए वह इसका नाम बदल-बदल कर संचालन कर रहा था.
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2006 में आतंकी संगठन को किया गया था बैन
कोर्ट ने कहा कि, "आपके जैसे संगठन वैचारिक कारणों की तलाश में हिंसा को सामान्य बना देते हैं. वे उन लोगों के बीच दरार पैदा करते हैं जो शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं." एएलएम को पहली बार 2006 में अल घुरबा नाम से संचालित करने के लिए ब्रिटेन ने बैन किया था. 2010 में, एएलएम को वैकल्पिक नाम के रूप में प्रतिबंध में शामिल किया गया था.
कोर्ट ने पाया कि चौधरी जुलाई 2023 तक ALM के लिए काम कर रहा था. वह इस्लामिक थिंकर्स सोसाइटी नाम के एक ऑफशूट समूह में ऑनलाइन भाषण देने के दौरान उसको चिन्हित किया था, जिसमें अंडरकवर टीम ने घुसपैठ करके पता लगाया था. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
इस्लामिक स्टेट के लिए करता था काम
पाकिस्तानी और ब्रिटिश नागरिक अंजेम चौधरी को पहले 2018 में इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन के लिए समर्थन मांगने के लिए दोषी पाया गया था. इस केस में उसे पांच साल की सजा सुनाई गई लेकिन जल्द ही रिहा कर दिया गया था. कोर्ट ने उसे कुछ शर्तों के साथ जमानत दी थी लेकिन शर्तें समाप्त होने के बाद वह फिर से आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया.
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चौधरी की आजीवन कारावास की सजा के अलावा, चौधरी का समर्थन करने वाले 29 वर्षीय कनाडाई नागरिक खालिद हुसैन को भी 5 साल की जेल और रिहाई के बाद 1 साल की निगरानी की सजा सुनाई गई है.