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नुकसान से भरी विरासत या कुछ और... ब्रिटिश PM ऋषि सुनक के लिए भविष्य में क्या रखा है?

ब्रिटेन के आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी अपने पिछले कार्यों के दौरान किए खराब काम के बोझ से जूझ रही है. ऐसी स्थिति के बीच भारतीय मूल के ऋषि सुनक सबसे आगे खड़े हैं और एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं.

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक.

ब्रिटेन में  2024 के आम चुनाव में मतदान के लिए बस कुछ ही दिन बचे थे. देश के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चुनाव से कुछ दिन पहले जब कहा 'एक बार जब आप गुरुवार को फैसले ले लेंगे, तो इससे पीछे नहीं हट सकते. ऐसा कुछ न करें जिसका आपको पछतावा हो' तो निश्चित रूप से उनका मतलब वही था जो वो बोल रहे थे. अधिकांश चुनाव-पूर्व जनमत सर्वेक्षणों में कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली विपक्षी लेबर पार्टी को एक मजबूत जनादेश मिलता दिख रहा है तो वहीं ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सत्ता पर काबिज कंजर्वेटिव पार्टी स्पष्ट रूप से पीछे हटती दिख रही है. 

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सुनक ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में उस समय पदभार संभाला जब कंजर्वेटिव पार्टी, जिसे टोरीज के नाम से भी जाना जाता है, कई असफलताओं से गुजर रही थी. वह ब्रिटेन के न सिर्फ पहले हिंदू प्रधानमंत्री बने बल्कि बीते 200 से अधिक वर्षों में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री (42 वर्ष) भी थे. अब, लगातार प्रचार करने वाले प्रधानमंत्री की उम्मीदें ब्रिटेन के मतदान पर टिकी हैं. गुरुवार (4 जुलाई) को इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के 650 निर्वाचन क्षेत्रों में लाखों लोगों ने अपने वोट डाले, जिसके बाद कीर स्टार्मर अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं.

सुनक, जिन्होंने समय से पहले चुनाव कराने का फैसला लिया, ने हाल के हफ्तों में अपने चुनावी अभियान की रणनीति बदली. उन्होंने लगातार पांचवीं जीत की चाहत को छोड़ते दिखे, और इसके बजाय लेबर पार्टी की सुपरमैजोरिटी के खिलाफ चेतावनी देने पर ध्यान केंद्रित करते दिखे. भविष्यवाणी तो यहां तक कर दी गई कि इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी 1834 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करेगी. ऋषि सुनक इसमें से कितना कुछ होने से रोक पाते हैं, और चुनाव के बाद उनके साथ क्या होता है, यह देखने लायक होगा. 

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सुनक और टोरी की संभावनाओं पर अतीत की छाया

31 जनवरी 2020 को ब्रेक्सिट के बाद हुए पिछले चुनाव में, जो उस समय का सबसे बड़ा मुद्दा था, कंजर्वेटिव पार्टी का चेहरा रहे सुनक अब ब्रिटिश मतदाताओं के बीच भारी निराशा का सामना कर रहे हैं. सुधार के लिए वर्षों से चली आ रही कठोर उपाय, ब्रेक्सिट, धीमी अर्थव्यवस्था और घोटालों ने कंजर्वेटिव पार्टी पर जनता का भरोसा लगभग खत्म कर दिया है. यही कारण है कि सुनक को लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर के खिलाफ आम चुनाव में एक मुश्किल लड़ाई लड़नी पड़ रही है. यह भी उम्मीद की जा रही है कि सट्टेबाजी कांड कंजर्वेटिव और उसके नेता सुनक को 4 जुलाई के स्नैप पोल में शर्मिंदा कर सकता है. इस प्रकार की चुनावी पृष्ठभूमि ने सुनक के लिए राजनीतिक अराजकता को दूर करना मुश्किल काफी बना दिया है. 

कंजर्वेटिव पार्टी को उस समय तगड़ा झटका लगा था जब तत्कालीन पीएम बोरिस जॉनसन और उनकी टीम ने कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन तोड़ने वाली पार्टियां आयोजित की थीं. इसके बाद लोगों में व्यापक गुस्सा भड़क उठा था. पिछले महीने ही सुनक नॉरमैंडी लैंडिंग (डी-डे) की 80वीं वर्षगांठ के अंतर्राष्ट्रीय स्मरणोत्सव को छोड़कर एक टेलीविजन साक्षात्कार में भाग लेने के लिए चले गए, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों इस आयोजन में शामिल हुए थे. इसके बारे में विशेषज्ञों का कहना था कि महत्वपूर्ण चुनावों से पहले सुनक के इस कदम को सकारात्मक रूप से नहीं लिया गया है. 

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बाद में जॉनसन के उत्तराधिकारी लिज ट्रस ने कोविड से कमजोर अर्थव्यवस्था को कर कटौती के एक कठोर पैकेज के साथ और अस्थिर कर दिया. जिससे जीवन-यापन की लागत का संकट और बढ़ गया और वे केवल 49 दिनों तक ही पद पर रहीं. विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी लोगों में व्यापक असंतोष है, जिसमें एक बेकार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और टूटते बुनियादी ढांचे शामिल हैं. 

सुनक ने 2023 में कहा था कि उन्हें "यह पद [ब्रिटिश प्रधानमंत्री का] सबसे आसान परिस्थितियों में नहीं मिला है" और उम्मीद है कि 2024 के आम चुनाव में जाने वाले नेता के रूप में वे सही विकल्प होंगे. अब, चुनाव के वक्त कंजर्वेटिव पार्टी अपने पिछले कार्यों के दौरान किए खराब कार्यों के बोझ से जूझ रही है. ऐसी स्थिति के बीच भारतीय मूल के ऋषि सुनक सबसे आगे खड़े हैं और एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं. 

मतदाताओं को लुभाने के लिए अंत तक संघर्ष करते रहे सुनक 

4 जुलाई को होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले मतदाताओं का दिल जीतने के लिए अंतिम प्रयास करते हुए सुनक ने आशावादी रुख अपनाया. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस चुनाव का परिणाम पहले से तय नहीं है और उनके कार्यकाल के 20 महीनों के दौरान चीजें पहले से बेहतर स्थिति में हैं. अंतिम समय में सुनक को खाद्य वितरण गोदामों, सुपरमार्केट और खेतों के बीच मतदाताओं से जुड़ने और अर्थव्यवस्था एवं बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए पार्टी के प्रयासों पर जोर देने के लिए दौड़-भाग करते देखा गया. 

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उन्होंने ब्रिटेन को "ग्रीन एनर्जी सुपरपावर" बनाने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता पर भी जोर डाला है. इन चुनौतियों के बावजूद सुनक अपनी पार्टी के पारंपरिक समर्थन, बिजनेस कम्युनिटी के समर्थन, हाल ही में मिले बेहतर डेटा पर भरोसा और ब्रिटेन में इमीग्रेशन को कम करने के वादे के भरोसे जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं. 

10 डाउनिंग स्ट्रीट से पहले सुनक की यात्रा

10 डाउनिंग स्ट्रीट में आने से पहले ऋषि सनक प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की टीम में राजकोष के चांसलर और ट्रेजरी के मुख्य सचिव रह चुके थे. दो लगातार प्रधानमंत्रियों के इस्तीफे के बाद अक्टूबर 2022 में वे यूनाइटेड किंगडम सरकार के प्रमुख बने. 2015 में राजनीति में उतरने से पहले, ऑक्सफ़ोर्ड और स्टैनफ़ोर्ड से शिक्षित सनक ने गोल्डमैन सैक्स में काम किया और बाद में थेलेम पार्टनर्स नामक एक हेज फंड की सह-स्थापना की.

4 जुलाई का चुनाव, जो सनक की विरासत के रूप में एक उच्च-दांव प्रतियोगिता होने की उम्मीद है, एक मील का पत्थर हो सकता है, अगर वह असंतोष की लहर को रोकने और ब्रिटिश लोगों के बीच रूढ़िवादियों के विश्वास को बहाल करने में सक्षम है. ऐसी खबरें हैं कि सुनाक रिचमंड और नॉर्थलेर्टन की अपनी सीट भी हार सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो सुनाक ब्रिटेन के इतिहास में अपनी सीट हारने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे. इसके अलावा ऐसी खबरें हैं कि सुनक US के कैलिफोर्निया में अपनी वित्तीय क्षेत्र की नौकरी पर वापस लौट सकते हैं. हालांकि, सुनक ने उन खबरों का खंडन किया है कि चुनाव के बाद वह US चले जाएंगे, जहां उनका एक घर भी है.

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ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुनक वित्तीय सेवा उद्योग में वापस लौट सकते हैं, भले ही वह सांसद के रूप में बने रहें या नहीं. द गार्जियन की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक पूर्व सहयोगी ने सुनक को लंदन के मेफेयर में कार्यालय के लिए जगह की पेशकश की थी. इस जगह को हेज-फंड का हॉटस्पॉट माना जाता है. सुनक ने जोर देकर कहा है कि अगर टोरी चुनाव हार भी जाते हैं तो भी वह पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए सांसद बने रहेंगे. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सुनक ने अंत तक लड़ाई लड़ी. लेकिन इस बीच कई सवाल भी उठ खड़े हुए.

अगर सुनक अपनी सीट जीत जाते हैं, तो क्या वे बैकबेंच एमपी बने रहेंगे और सदियों में पार्टी के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद भी कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करेंगे? क्या वे ब्रिटिश संसद में विपक्ष के नेता होंगे और पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए काम करेंगे? इन सवालों के जबाव जल्द ही सबके सामने होंगे. लेकिन इतना तो तय है कि आने वाले समय में ऋषि सुनक का मूल्यांकन उनकी योग्यता के आधार पर नहीं किया जाएगा और यह उनका दुर्भाग्य होगा.

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