ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय डाक सेवा रॉयल मेल ने एक ब्रिटिश-भारतीय पूर्व कर्मचारी को 23 लाख पाउंड (लगभग 24 करोड़ रुपये) से अधिक का मुआवजा दिया है. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, एक मीडिया विशेषज्ञ कैम झूटी को उसके बॉस ने परेशान किया था. दरअसल, कैम को बोनस से संबंधित संभावित धोखाधड़ी का खुलासा करने के लिए डराया और धमकाया गया था. फिर उसने चिंता जताई थी कि एक सहकर्मी ने अवैध तरीके से उनका बोनस हड़प लिया है.
बता दें कि मामला कोर्ट गया और लगभग आठ वर्षों तक चली लंबी अदालती लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला सुनाया कि झूटी को गलत तरीके से बर्खास्त कर दिया गया था. फिर उसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और गंभीर अवसाद से पीड़ित छोड़ दिया गया था.
मामला वर्ष 2022 में चला गया और एक न्यायाधिकरण ने इसी निष्कर्ष निकाला था कि डाक सेवा की कार्रवाई अत्याचारी, दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक और दमनकारी था.
क्या है मामला
अदालत को बताया गया कि ब्रिटेन में भारतीय माता-पिता से जन्मी झूटी ने सितंबर 2013 में लंदन स्थित रॉयल मेल की मार्केटरीच इकाई में काम करना शुरू किया. जब झूटी को टीम की एक सदस्य पर कंपनी की बोनस नीति का उल्लंघन करने का संदेह हुआ, तो उसने इस मुद्दे को विडमर के सामने उठाया, जिसने उसे डराना-धमकाना शुरू कर दिया.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सहकर्मी कंपनी की नीति का उल्लंघन कर रही थी, अपने लिए बोनस ले रही थी और परोक्ष रूप से विडमर के बोनस को सुरक्षित कर रही थी. झूटी को रॉयल मेल छोड़ने के लिए तीन महीने का वेतन और बाद में एक साल का वेतन लेने के लिए कहा गया. झूठी ने ट्रिब्यूनल को बताया कि 2014 में रॉयल मेल छोड़ने के बाद, वह तनाव में रहने लगी और उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया जिस वजह से वह काम पर वापस नहीं लौट पाई.
झूटी 2015 में रॉयल मेल को प्रारंभिक रोजगार न्यायाधिकरण में ले गई, और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, 23,65,614.13 पाउंड के हर्जाने में से - रॉयल मेल द्वारा झूटी को फिलहाल 2,50,000 पाउंड ही मिलेंगे, क्योंकि डाक सेवा ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों के खिलाफ अपील करने की योजना बना रही है.