बांग्लादेश में हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को देश छोड़ दिया. इस वक्त वह भारत में हैं. शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफा देने की घोषणा बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमान ने की थी. उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही देश में अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा. टीवी पर अपने संबोधन के बाद जमान सुर्खियों में आ गए हैं.
बांग्लादेश सेना प्रमुख ने सोमवार को टीवी पर अपने संबोधन में हिंसक भीड़ से देश में शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. देश में जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा. सभी राजनीतिक पार्टियों से चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया है. हालांकि, उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया कि देश में बनने वाली अंतरिम सरकार में सेना की कोई भूमिका होगी या नहीं. लेकिन उन्होंने कहा, अब हम देश के राष्ट्रपति के पास जाएंगे और देश में अंतरिम सरकार के गठन के बारे में चर्चा करेंगे.
कौन हैं वकार-उज-जमान
वकार-उज-जमान ने डेढ़ महीने पहले 23 जून को तीन साल के लिए बांग्लादेश की सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला है. सेना प्रमुख का कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने छह महीने से ज्यादा वक्त तक जनरल स्टाफ के पद पर काम किया. इस दौरान उन्होंने सैन्य संचालन और खुफिया जानकारी, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में बांग्लादेश की भूमिका और बजट की देखरेख का भी काम किया है. इसके अलावा उन्होंने अन्य भूमिकाओं को भी संभाला है.
बांग्लादेश सेना की वेबसाइट के अनुसार, जमान के पास नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और किंग्स कॉलेज, लंदन से रक्षा अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री है. साढ़े तीन दशक के करियर में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत सशस्त्र बल प्रभाग में प्रमुख स्टाफ अधिकारी के रूप में कार्यरत हसीना के साथ भी मिलकर काम किया है. साथ ही वह सेना के आधुनिकीकरण से भी जुड़े रहे हैं.
वहीं, जब बांग्लादेश में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए तो जमान ने सेना के जवानों से लोगों के जीवन, संपत्ति और महत्वपूर्ण राज्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.
आज प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करेंगे जमान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश सेना प्रमुख मंगलवार को आंदोलन कर रहे छात्रों के नेताओं से दोपहर 12 बजे मुलाकात करेंगे. क्योंकि छात्रों का कहना है कि वह देश में एक नई अंतरिम सरकार चाहते हैं, जिसके मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस हों.
छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता नाहिद इस्लाम ने फेसबुक पर अपने तीन अन्य साथियों के साथ एक वीडियो में कहा कि हमने जिस सरकार की सिफारिश की है, उसके अलावा कोई भी सरकार स्वीकार नहीं की जाएगी. हम सेना द्वारा समर्थित या सेना के नेतृत्व वाली किसी भी सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे. इस्लाम ने कहा कि हमने मोहम्मद यूनुस से भी चर्चा की है और वह हमारे निमंत्रण पर ये जिम्मेदारी लेने के लिए सहमत हो गए हैं.
यह भी पढ़ें: 'बांग्लादेश अगला पाकिस्तान साबित होने जा रहा है', शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद का Exclusive इंटरव्यू
'अस्पताल में हैं खालिदा जिया'
वहीं, सोमवार को पूरे दिन हिंसा के बाद राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने देर शाम टीवी पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिम सरकार सभी दलों और शुभचिंतकों से विचार के बाद जल्द ही चुनाव कराएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और हसीना की प्रतिद्वंद्वी बेगम खालिदा जिया को तुरंत रिहा करने का "सर्वसम्मति से निर्णय" लिया गया, जिन्हें 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था. लेकिन एक साल बाद उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था. उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है.
बीएनपी प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि 78 वर्षीय जिया अस्पताल में हैं और "वे कानूनी रूप से सभी आरोपों से मुक्त हो जाएंगी तथा जल्द ही बाहर आ जाएंगी."
अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है हिंसक भीड़
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार डेली स्टार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं. कल कम से कम 27 जिलों में भीड़ द्वारा हिंदू घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया, जबकि उनका कीमती सामान भी लूट लिया गया. उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट के तेलीपारा गांव में पूजा उद्जापन परिषद के सचिव प्रदीप चंद्र रॉय के घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की. उन्होंने थाना रोड पर जिले के पूजा उद्जापन परिषद के नगर पालिका सदस्य मुहिन रॉय की एक कंप्यूटर दुकान में भी तोड़फोड़ और लूटपाट की. इसके अलावा, जिले के कालीगंज उपजिला के चंद्रपुर गांव में चार हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई.
कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू हुआ था विवाद
कोटा सिस्टम के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछले महीने के अंत में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन तब नाटकीय रूप से बढ़ गया, जब देश के सबसे बड़े ढाका विश्वविद्यालय में आंदोलनकारी छात्रों की पुलिस और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प हो गई. इन विरोध प्रदर्शनों की जड़ें उस विवादास्पद कोटा सिस्टम में निहित हैं जो पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत तक सरकारी नौकरियों को आरक्षित करता है. हालांकि, आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इस कोटा सिस्टम को खत्म करके 93 फीसदी भर्तियां मेरिट के आधार पर कर दीं और आरक्षण का दायरा सिर्फ 7 प्रतिशत तक सीमित कर दिया.