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निज्जर केस में भारत नहीं कर रहा... पन्नू केस उठते ही कनाडा फिर राग लगा अलापने

कनाडा की विदेश मंत्री मेलोनी जोली का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने हाल ही में एक और खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है.

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कनाडा की विदेश मंत्री मेलोनी जोली
कनाडा की विदेश मंत्री मेलोनी जोली

कनाडा की विदेश मंत्री मेलोनी जोली ने एक बार फिर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगए हैं. उनका कहना है कि भारत इस मामले की जांच में कनाडा का सहयोग नहीं कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 41 कनाडाई राजनयिकों को वापस भेजने का फैसला अस्वीकार्य था.

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मेलोनी जोली का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने हाल ही में एक और खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है.

कनाडा की विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत के साथ जिन मामलों पर हमारे मतभेद हैं, उन्हें लेकर मैंने अपने अमेरिकी साथियों, विदेश मंत्री ब्लिंकन के साथ भी कई बार बातचीत की है. साथ ही हम भारत से भी जांच में शामिल होने का आह्वान करते हैं और मुझे लगता है कि ये जरूरी भी है कि वो ऐसा करे.' उन्होंने ये भी कहा कि कनाडा अभी भी भारत पर लगाए आरोपों पर कायम है.

मेलोनी ने कहा, 'मैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लीगल सिस्टम का सम्मान करती हूं, लेकिन मैं आपको बता सकती हूं कि हम अपने आरोपों पर कायम हैं कि कनाडाई सरजमीं पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में भारत का हाथ था.' उन्होंने ये भी बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की थी.

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ये पूछे जाने पर कि क्या कनाडा की जांच में भारत ने सहयोग किया है? मेलोनी ने कहा कि हम उनके सहयोग का आह्वान करते हैं ताकि हमारी जांच आगे बढ़ सके.

बता दें कि सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया था. इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में दो हथियारबंद लोगों ने निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इन आरोपों के बाद दोनों देशों के बाद राजनयिक संकट खड़ा हो गया था. भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों को भी वापस भेज दिया था. भारत ने कनाडा के इन आरोपों को बेतुका बताया था.

इस मामले पर मेलोनी ने कहा है कि मुझे लगता है कि ये हमारे आरोपों के सार्वजनिक किए जाने का प्रभाव था और उन्होंने हमारे 41 राजनयिकों को हटाने का फैसला लिया जो कि अस्वीकार्य था.

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