कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बुधवार को सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल अमृतसर पहुंचे. इस दौरान जस्टिन ट्रूडो ने अपनी सरकार से जुड़े उस विवाद को विराम देने की कोशिश की, जिसमें कनाडा के रक्षामंत्री सज्जन कुमार सहित कई दूसरे मंत्रियों पर आरोप था कि वो अलगाववादी सिख संगठनों के हिमायती हैं.
पिछले साल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा के रक्षामंत्री सज्जन कुमार पर सीधे तौर पर आरोप लगाए थे कि वो कनाडा में बैठे उन अलगाववादी नेताओं को तरजीह देते हैं, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं.
जस्टिन ट्रूडो ने स्वर्ण मंदिर में अपने परिवार समेत माथा टेका और लौटते वक्त हाथ जोड़कर वहां मौजूद श्रद्धालुओं का अभिवादन किया. साथ ही विवाद से बचने के लिए जस्टिन त्रूदो परिवार सहित प्रसिद्ध जलियांवाला बाग स्मारक देखने नहीं गए. हालांकि उन्होंने पार्टीशन म्यूजियम जरूर देखा. मंगलवार को ट्रूडो ने साफ किया था कि उनकी सरकार अलगाववादियों की समर्थक नहीं, बल्कि अलगाववादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वचनबद्ध है.
ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा सरकार भारत को एक संगठित और मजबूर देश के रूप में देखती है. शुक्रवार को जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. इस दौरान वो मंगलवार को दिए गए अपने बयान को दोहराएंगे और नरेंद्र मोदी को अलगाववादी सिख संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा दिला सकते हैं. दरअसल, पिछले कुछ अरसे से कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है.
कई प्रतिबंधित सिख अलगाववादी संगठन कनाडा में बैठकर अपनी राजनीति चला रहे हैं. हाल ही में पंजाब में पकड़े गए कई गैंगस्टर और उग्रवादियों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उनके आका कनाडा में बैठे हैं. इन विवादों के चलते भारत और कनाडा के बीच तनाव बना हुआ है, लेकिन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस तनाव और विवाद को विराम देने की कोशिश की है.