तीन देशों की विदेश यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अपने आखिरी पड़ाव कनाडा में हैं. गुरुवार को पीएम ने टोरंटो में एयर इंडिया मेमोरियल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने 1985 में कनिष्क विमान विस्फोट में मारे गए 329 लोगों को श्रद्धांजलि दी.
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देते हुए मोदी कनाडा के अपने समकक्ष स्टीफन हार्पर के साथ स्मारक पहुंचे. दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्मारक पर श्रद्धासमुन अर्पित किए और वहां मौजूद उन लोगों से बातचीत की, जिन्होंने उस आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया. यह स्मारक 2007 में बना था. टोरंटो में यह पीएम मोदी उनका आखिरी कार्यक्रम था, जिसके बाद वह वेंकुवर जाएंगे.
गौरतलब है कि मांट्रियाल से नई दिल्ली जा रहा एयर इंडिया के विमान कनिष्क 23 जून 1985 को धमाके से उड़ा दिया गया था. इस आतंकी हमले में 329 मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे. इस मामले में इंदरजीत सिंह रेयात एकमात्र व्यक्ति है, जिसे दोषी ठहराया गया.
विमान को बम से उड़ाने के लिए सिख उग्रवादियों पर आरोप लगाए गए हैं. कहा जाता है कि उन्होंने 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को निकालने के लिए हुई सैन्य कार्रवाई के विरोध में ऐसा किया था.
मोदी को कनाडाई अदालत के समन को रोका गया
दूसरी ओर, एक सिख अधिकार संगठन ने गुरुवार को कहा कि 2002 के गुजरात दंगों में हुए मानवाधिकार उल्लंघनों के सिलसिले में मुकदमे के लिए कनाडा की एक अदालत ने नरेंद्र मोदी को समन जारी किया. लेकिन इस आदेश को कनाडाई अटॉर्नी जनरल ने रोक दिया.
मानवाधिकार संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा कनाडाई अदालत में एक मुकदमा दायर किए जाने के बाद मोदी को समन जारी किया गया. मुकदमा दायर कर दंगों के दौरान कथित प्रताड़ना और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप में मोदी के अभियोजन की मांग की गई थी. उस वक्त वह राज्य के मुख्यमंत्री थे.
एसएफजे का प्रतिनिधित्व करते हुए टोरंटो स्थित मानवाधिकार अधिवक्ता मार्लीज एडवर्ड और उनकी सहयोगी लुईस सेंचुरी ने न्याय मंत्री और अटॉर्नी जनरल पीटर मैके से मोदी को मामले में आरोपित करने की मांग की, लेकिन समन को मैके ने फौरन रोक दिया. एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवत सिंह पानून ने बताया कि मोदी मुकदमे से सिर्फ इसलिए बच गए कि अटॉर्नी जनरल ने आखिरी क्षणों में हस्तक्षेप कर दिया.
-इनपुट भाषा से