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सीरिया पर अमेरिका को मिला कनाडा का साथ, सैन्‍य कार्रवाई पर अंतिम फैसला नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को कहा कि सीरिया में ‘सीमित’ सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर रहा है, जिसमें जमीनी स्तर पर सैनिकों द्वारा कोई कार्रवाई शामिल नहीं हो. लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं किया गया है.

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बराक ओबामा
बराक ओबामा

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को कहा कि सीरिया में ‘सीमित’ सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर रहा है, जिसमें जमीनी स्तर पर सैनिकों द्वारा कोई कार्रवाई शामिल नहीं हो. लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं किया गया है.

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ओबामा ने तीन बाल्टिक देशों के नेताओं से बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हम निश्चित समयसीमा की प्रतिबद्धता पर विचार नहीं कर रहे हैं. हम जमीनी स्तर पर सैनिकों द्वारा कार्रवाई पर भी विचार नहीं कर रहे हैं.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं किया है कि अमेरिका क्या कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा, ‘हमने अपने सहयोगियों से चर्चा की है. हमने कांग्रेस से सलाह मशविरा किया है.’

इस बीच कनाडा ने अमेरिका द्वारा सीरिया शासन के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही इस तरह की किसी कार्रवाई में प्रत्यक्ष तौर पर शामिल होने से इंकार किया है.

कनाडा के विदेश मंत्री, जॉन बेयर्ड ने कहा, ‘हालांकि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया था कि इस समय कनाडा सरकार की सैन्य अभियान जैसी कोई योजना नहीं है, लेकिन हम असद शासन द्वारा लोगों पर किए गए खतरनाक हमले का जवाब देने में अपने मित्रों एवं सहयोगियों का पूरा समर्थन करते हैं.’

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इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सार्वजनिक रूप से इस बात का विवरण दिया कि कैसे अमेरिका इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि असद शासन ने लोगों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से 21 अगस्त 2013 को दमिश्क के उपनगरीय इलाके में बड़े पैमाने पर मौतें हुईं.

बेयर्ड ने कहा, ‘कनाडा ने अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों एवं सहयोगियों के साथ इस घिनौनी घटना की निंदा की थी.’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि कनाडा मानता है कि भविष्य में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए एक दृंढ़ एवं स्पष्ट प्रतिक्रिया की जरूरत है.’ बेयर्ड ने कहा, ‘हम यह भी मानते हैं कि दुनियाभर के कुख्यात शासनों द्वारा इस तरह के हथियारों के प्रसार एवं इस्तेमाल को लेकर एक स्पष्ट संदेश दिए जाने की जरूरत है.’

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