scorecardresearch
 

केपटाउन: दुनिया में पहली बार पुरुष प्राइवेट पार्ट का सफल ट्रांसप्लांट

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में डॉक्टरों ने सर्जरी की दुनिया में एक जबरदस्त और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. यहां एक 21 साल के युवक के प्राइवेट पार्ट का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है. दुनिया में इस तरह की यह पहली सफल सर्जरी है. बताया जाता है कि तील साल पहले खतना के दौरान युवक के प्राइवेट पार्ट को क्षति पहुंची थी, जिसके बाद उसे कई तरह की समस्या आ रही थी.

Advertisement
X
Symbolic Image
Symbolic Image

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में डॉक्टरों ने सर्जरी की दुनिया में एक जबरदस्त और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. यहां एक 21 साल के युवक के प्राइवेट पार्ट का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है. दुनिया में इस तरह की यह पहली सफल सर्जरी है. बताया जाता है कि तील साल पहले खतना के दौरान युवक के प्राइवेट पार्ट को क्षति पहुंची थी, जिसके बाद उसे कई तरह की समस्या आ रही थी.

Advertisement

केपटाउन के टायगरबर्ग अस्पताल और स्टैलेनबॉश यूनिवर्सिटी के साझा प्रयास से किए गए इस सर्जरी के लिए सबसे बड़ी मुश्कि‍ल डोनर को लेकर थी. यूनिवर्सिटी के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख आंद्रे वान डी. मेरवे कहते हैं, 'यह एक गंभीर स्थि‍ति थी. आप कल्पना कर सकते हैं कि 18-19 साल के एक युवक के प्राइवेट पार्ट में समस्या उसकी पूरी जिंदगी तबाह कर सकती है. यह सर्जरी एक स्टडी के तौर पर की गई और डोनर सबसे बड़ी समस्या थी, लेकिन एक व्यक्ति‍ ने अपना प्राइवेट पार्ट डोनेट किया, जिसकी मृत्यु के बाद हम इस सर्जरी में सफल हुए.'

बताया जाता है कि बीते साल दिसंबर महीने में हुए इस ट्रांसप्लांट में 9 घंटे का समय लगा. आंद्रे कहते हैं, 'सर्जरी के बाद अब वह युवक अपने प्राइवेट पार्ट का पूरी तरह इस्तेमाल कर सकता है. यह तरीका उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो दुर्घटना में या खतना के दौरान अपने प्राइवेट पार्ट को खो देते हैं या उसमें गंभीर बीमारी हो जाती है.'

Advertisement

आंद्रे ने बताया कि दक्षि‍ण अफ्रीका में हर साल 250 से अधि‍क ऐसे मामले आते हैं, जिसमें पुरुष के प्राइवेट पार्ट को ट्रांसप्लांट करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं होता. अभी तक इस ओर सफलता नहीं मिली थी, लिहाजा लोगों को निराश होना पड़ता था, लेकिन खुशी है कि अब यह संभव है.

वह कहते हैं, 'यहां के आदिवासी समुदाय में हर साल हजारों युवकों को इस पारंपरिक अनुष्ठान के गुजरना पड़ता है. कई बार गलत तरीके खतना होने पर समस्या आती है, जबकि हर साल करीब 250 लोग अपना प्राइवेट पार्ट दुर्घटनावश खो देते हैं.' आंद्रे के मुताबिक अभी आगे नौ अन्य मरीजों के प्राइवेट का भी ट्रांसप्लांट किया जाना है, लेकिन यह कब होगा इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है.

Advertisement
Advertisement