भारत के चंद्रयान-3 मिशन को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक लैंडिंग किए हुए एक हफ्ते हो गए हैं. इस बीच चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह से कई जानकारियां भेज रहा है. चांद की सतह पर भारत के रोवर के अलावा एक और देश का रोवर अभी सक्रिय है जिसका नाम युतु 2 (Yutu 2) रोवर है. यह चीन का रोवर है जिसे चीन ने अपने मून मिशन Chang’e 4 के तहत चांद पर भेजा था. हालांकि, यह रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में नहीं है. फिर सवाल उठता है कि ये रोवर आखिर है कहां और भारत के रोवर से कितना दूर है.
चीन ने अपने रोवर को लेकर बेहद कम जानकारी साझा की है. हालांकि, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का रोवर अभी भी चंद्रमा की सतह पर सक्रिय है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी रोवर दो हफ्ते की चांद रात में बंद हो जाता है जब तापमान शून्य से 170 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है. चंद्रमा पर एक रात धरती के लगभग 14 रातों के बराबर होती है.
प्रज्ञान और Yutu 2 रोवर्स के बीच अनुमानित दूरी क्या है?
चीन का मून मिशन चांग'ई-4 3 जनवरी 2019 को दक्षिणी ध्रुव-एटकिन बेसिन में वॉन कर्मन क्रेटर में उतरा था. इसी के साथ ही चीन चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर कंट्रोल लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया था. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, चीन के मून मिशन ने निर्देशांक 45.4561 S अक्षांश, 177.5885 E देशांतर पर लैंड किया था.
वहीं, विक्रम लैंडर के लिए चंद्रयान 3 की नियोजित लैंडिंग साइट 69.367621 अक्षांश, 32.348126 देशांतर थी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि उन्होंने जिस क्षेत्र में लैंडिंग प्लान किया था, भारत का लैंडर वहीं उतरा है.
इसरो नासा के पूर्व वैज्ञानिक सैयद अहमद, जो अब हैदराबाद में XDLINX प्रयोगशालाओं के लिए काम कर रहे हैं, ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि रोवर्स के बीच की दूरी लगभग 1,948 किमी होगी.
वहीं, अंतरिक्ष विशेषज्ञ, शनमुगा सुब्रमण्यम ने गणना कर बताया कि चंद्रमा पर भारत और चीन के रोवर्स के बीच की दूरी लगभग 1,891 किमी (± 5 किमी कम ज्यादा) है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब चंद्रमा पर एक साथ दो रोवर काम कर रहे हैं.
क्या चीन के रोवर से मिलेगा भारत का प्रज्ञान रोवर?
ऐसी कोई संभावना नहीं है कि भारत का रोवर चीन के रोवर Yutu 2 से मिलेगा. प्रज्ञान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपनी खोज को अंजाम दे रहा है. यह अपने लैंडर विक्रम से केवल 500 मीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है. दूसरी तरफ चीन का रोवर भी अपने लैंडिंग स्थल के पास रहकर ही काम कर रहा है.
चीन के रोवर के उलट, प्रज्ञान चंद्रमा पर केवल एक दिन ही काम कर सकेगा, चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. वहीं, चीन का रोवर 2019 की शुरुआत से अब तक काम कर रहा है.
आने वाले साल में, चीन एक और मून मिशन Chang'e 6 चंद्रमा के सुदूर हिस्से में भेजेगा जो पहली बार वहां से सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश करेगा.
प्रज्ञान रोवर ने ली विक्रम लैंडर की पहली तस्वीर
इसरो ने बुधवार को एक ट्वीट कर कहा कि चांद पर प्रज्ञान रोवर ने विक्रम लैंडर की पहली तस्वीर ली है. प्रज्ञान ने यह तस्वीर ऑनबोर्ड नेविगेशन कैमरा से ली है.
प्रज्ञान रोवर ने चांद पर उतरने के बाद से कई अहम जानकारी धरती पर भेजी है. प्रज्ञान ने चंद्रमा पर ऑक्सीजन की मौजूदगी की जानकारी दी है. चांद पर सल्फर, एल्यूमिनियम, कैल्सियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटैनियम, मैंगनीज जैसे तत्वों के मिलने की भी पुष्टि हुई है.