मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ती दिख रही है. पिछले दिनों मसूद अजहर को अतंरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने को लेकर यूएनएससी में अमेरिका की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर चीन की ओर से वीटो लगाए जाने के बाद अमेरिका की ओर से फिर से लाए गए प्रस्ताव पर चीन ने संकेत दिया है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए अमेरिका की ओर से फिर से लाए गए एकपक्षीय प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा. साथ ही उसने वाशिंगटन के इस कदम की आलोचना भी की.
चीन ने अमेरिका पर 'संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति' को दरकिनार करने और इसके अधिकार को खत्म करने का आरोप भी लगाया है. फरवरी 2019 में चीन ने चौथी बार अजहर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया था. मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को भारतीय कश्मीर में पुलवामा जिले में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी.
चीन बार-बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के आग्रह को लगातार ठुकराता रहा है. बीजिंग ने बीते माह अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर तकनीकी रोक भी लगाई थी, जिसके बाद अमेरिका ने सीधे सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव लाने और इससे संबंधित एकतरफा मसौदा तैयार किया है.
मसूद अजहर नहीं हुआ ब्लैक लिस्ट
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, 'अमेरिका ने 1267 अलकायदा सेंशन्स कमिटी ऑफ द काउंसिल को दरकिनार कर दिया है और सुरक्षा परिषद में सीधे मसौदा प्रस्ताव दाखिल किया है. ऐसे में बातचीत से इस समस्या का हल संभव नहीं है.
वहीं, गेंग अमेरिका द्वारा 1267 समिति फ्रेमवर्क को दरकिनार कर अजहर पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी मसौदे पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. गेंग ने कहा, कि इससे सुरक्षा परिषद के मुख्य आतंकरोधी समिति के अधिकार को हानि पहुंची है. यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एकजुटता के लिए सही नहीं है और इससे मामला केवल जटिल ही होगा. हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह सावधानी से काम करे और मसौदा को बलपूर्वक आगे बढ़ाने से बचे.'
तकनीकी रोक
उन्होंने कहा, 'मैं कहना चाहूंगा कि चीन ने कभी इस तरह के मसौदे से इनकार नहीं किया है. हमने बस तकनीकी रोक लगाई है. कश्मीर में हुए पुलवामा हमले के बाद ही अमेरिका ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भविष्य में भारत में इस तरह के हमले हुए तो तनाव को शांत करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. पुलवामा हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले किए. इसके जवाब में पाकिस्तान ने एअर फोर्स का इस्तेमाल करते हुए 27 फरवरी को भारतीय जमीन पर बम गिराए. उस वक्त दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनने लगे थे.
उस तनाव को कुछ कम होने के बाद अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान से कहा कि भविष्य में हालात काबू में करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. बढ़ते दबाव के बीच पाकिस्तान ने कई उग्रवादी संगठनों पर कार्रवाई भी की. भारत और पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस देश हैं. आशंका जताई जाती है कि अगर इन दोनों के बीच जंग हुई तो वह परमाणु युद्ध में भी बदल सकती है.