चीन के अफसरों ने पिछले हफ्ते 30,000 नक्शों को नष्ट कर दिया है. अधिकारियों ने उन नक्शों के टुकड़े-टुकड़े करवा डाले जिनमें अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा और ताइवान को अलग देश के तौर पर दिखाया गया है. मीडिया में आई एक खबर में यह दावा किया गया है कि यह हाल में हुई सबसे बड़ी कार्रवाई थी. चीनी सरकार का कहना है कि ऐसा चीन की क्षेत्रीय अखंडता और प्रभुता को बचाने के लिए किया गया है.
यह सभी नक्शे अंग्रेजी में थे और इन्हें चीन की अनहुई स्थित कंपनी ने छापा था. चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहता है और अपने आधिकारिक नक्शों में उसे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के तौर पर दिखाता है. वह ताइवान पर भी अपना दावा करता है जो खुद को स्वशासित मानता है.
किंगदाओ शहर के शानडोंग प्रांत के कस्टम अफसरों ने जानकारी मिलने पर एक दफ्तर में रेड मारी और वहां से 800 बॉक्स को अपने कब्जे में ले लिया जिसमें दुनिया के 28,908 नक्शे थे. शानडोंग प्रांत के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि 28,908 गलत नक्शों के 803 बॉक्स जब्त करके दस्तावेजों को एक गुप्त स्थान पर ले जाया गया और उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन नक्शों को निर्यात किया जाना था. किंगदाओ सरकार ने नक्शों के परीक्षण में पाया कि इनमें चीन के सही क्षेत्र को नहीं दिखाया गया था. नक्शों में दक्षिण तिब्बत और ताइवान द्वीप को छोड़ दिया गया.
प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के भौगोलिक सूचना केंद्र के मा वेई ने कहा, 'नक्शे किसी भी देश की संप्रभुता की निशानी होते हैं.'
इंटरनेशनल लॉ ऑफ चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लियु वेंगजोंग ने कहा, ‘चीन ने इस संबंध में जो किया वह पूरी तरह वैध और आवश्यक है क्योंकि संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता किसी भी देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजें होनी चाहिए. ताइवान और दक्षिण तिब्बत चीन के क्षेत्र का पवित्र हिस्सा हैं जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आता है. यदि गलत नक्शे देश के अंदर या बाहर प्रसारित होते हैं तो इससे चीन की क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचेगा.’
चीन- अरुणाचल विवाद क्या है?
चीन और भारत के बीच मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा माना जाता है, लेकिन चीन इसे नहीं मानता है. चीन का कहना है कि तिब्बत का बड़ा हिस्सा भारत के पास है. सन् 1950 में चीन ने तिब्बत को अपने में मिलाने के बाद भारत के क़रीब 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाक़े को अपने अधिकार में कर लिया था. जिसे हम अक्साई चिन कहते हैं. ये इलाके लद्दाख से जुड़े थे. चीन ने यहां नेशनल हाइवे 219 बनाया जो उसके पूर्वी प्रांत शिन्जियांग को जोड़ता है. भारत सरकार इसे अवैध कब्जा मानती है.