अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ अक्सर एकजुट रहने वाले पाकिस्तान और चीन के बीच मनमुटाव से एक बात तो साफ हो गई कि आतंकवाद दोनों की दोस्ती में दरार डाल सकता है. पाकिस्तान में अपने दो नागरिकों की हत्या के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक झटके में ही पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से दूरी बना ली. इसी का नतीजा रहा कि कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शी जिनपिंग ने नवाज शरीफ को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, लेकिन पाकिस्तानी पीएम शरीफ से कोई वार्तालाप नहीं किया.
इसके जरिए शी जिनपिंग ने यह साफ संकेत दे दिया कि संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर और कश्मीर मसले पर चीन तभी तक पाकिस्तान का समर्थन करता रहेगा, जब तक उसका हित जुड़ा है. अगर पाकिस्तान ने तनिक भी आनाकानी करने की कोशिश की, तो उसको खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इसके पीछे चीन की मंशा यह भी हो सकती है कि यदि पाकिस्तानी आतंकियों ने उसको नुकसान पहुंचाया, तो वह पाकिस्तान को पीओके से बेदखल करके भारत से हाथ मिला लेगा. पाकिस्तान भी इस बात से वाकिफ है कि अगर चीन ने उसका साथ छोड़ा, तो पीओके पर कब्जा बनाए रखना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में आतंकवाद के पनाहगाह पाकिस्तान के पास चीन के सामने झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
इसी वजह से पाकिस्तान ने अपने यहां चीनी नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का फैसला लिया है. इसके लिए उसने वीजा नियमों को भी सख्त कर दिया है, लेकिन इसे चीनी निवेशकों के लिए झटका माना जा रहा
है. वर्तमान में चीन को पाकिस्तान की बजाय भारत से हाथ मिलाने में ज्यादा फायदा दिख रहा है. इसके अलावा आतकवाद के मुद्दे पर पाकिस्ता अलग-थलग भी पड़ता दिख रहा है. दरअसल, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पीओके
से गुजर रहा है, जो चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना का हिस्सा है. हालांकि भारत इसका कड़ा विरोध करता आ रहा है और चीन के इस कदम को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार दे चुका है. चीन के इसी कदम
से नाराज भारत ने बीजिंग में आयोजित वन बेल्ट वन रोड परियोजना समिट तक का बहिष्कार कर चुका है. अगर चीन भारत को साधने में कामयाब रहता है, तो एशिया क्षेत्र में उसकी ज्यादातर समस्याएं खत्म हो जाएंगी.
चीन भारत को इसमें शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है. वह इस बात को जानता है कि भारत के बिना इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाना संभव नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान से खिलाफत उसको भारत के करीब ला सकती है. हाल ही में शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) में पाकिस्तान के साथ भारत को पूर्णकालिक सदस्य बनाना भी चीन की इसी रणनीति का हिस्सा है. इसके अलावा चीन ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान SCO का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए कतई नहीं कर सकता है.