धरती के महामारी से तबाही झेलने के दौरान भी मंगल ग्रह के लिए इनसानी मिशन जारी है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सोमवार को जापान के तनेगाशिमा स्पेसपोर्ट से मंगल ग्रह के लिए अरब दुनिया की पहली प्रोब को रवाना किया. फिर चीन अपने थ्री-इन-वन स्पेसक्राफ्ट को मंगल ग्रह पर भेजने के लिए तैयार है. उसके बाद अमेरिका कतार में है.
यूएई का होप मिशन एक रिसर्च सैटेलाइट है. यह मंगल पर नहीं उतरेगा बल्कि इसकी परिक्रमा करेगा. लेकिन इसके बाद होने वाले चीनी और अमेरिकी मिशन अधिक जटिल और प्रतिस्पर्धी है.
चीन के ‘तियानवेन 1’ की उड़ान के लिए 22 जुलाई से 27 जुलाई की लॉन्च विंडो तय की गई है. तियानवेन 1 का अर्थ ‘अलौकिक सच की तलाश’ होता है. इस स्पेसक्राफ्ट में एक सैटेलाइट, एक लैंडर और रोवर शामिल है. इस मिशन में मंगल ग्रह की सतह की प्रोब की जाएगी.
अमेरिका के NASA (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) पर्सविरन्स सर्फेस रोवर अगस्त के शुरू में टेक-ऑफ कर सकता है. हालांकि ये उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगा.
चीन का पहला मंगल मिशन
चीन के मंगल के पहले मिशन के लिए स्टेज सेट हो चुका है. 17 जुलाई को, हैनान के वेन्चांग स्पेस लॉन्च सेंटर में लॉन्च वाहन को लॉन्च पैड पर लाया गया.
ताजा रिपोर्टों के मुताबिक प्रोपेलेंट फ्यूल (ईधन) भरने की प्रक्रिया चल रही है. मिशन लॉन्च विंडो के दौरान चीन निर्मित CZ-5B या लॉन्ग मार्च-5B रॉकेट से लिफ्ट-ऑफ किया जाएगा. लैंडर के फरवरी 2021 में मंगल तक पहुंचने की उम्मीद है.
मंगल ग्रह पर स्पेसक्राफ्ट उतारने वाले सिर्फ दो देश हैं- अमेरिका और पूर्ववर्ती सोवियत संघ. भारत और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने मिशन को ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक भेजा है.
सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण से चीन के व्यापक अंतरिक्ष कार्यक्रम पर रोशनी डलती है जिसने पिछले दो दशकों में लगातार प्रगति की है.
वेनचांग स्पेस लॉन्च सेंटर
वेनचांग स्पेस लॉन्च सेंटर के लिए हैनान की लोकेशन चुनी गई. ये चीन का एक द्वीप प्रांत है और देश के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है. यह भूमध्य रेखा के करीब है, जिससे पृथ्वी की रोटेशनल फोर्स की वजह से पर्याप्त बढ़ावा मिलता है.
इस द्वीप तक युआन वैंग 21 और 22 जैसे जहाज आसानी से पहुंच सकते है. ये जहाज तियानजिन के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र से भारी भरकम अंतरिक्ष उपकरण ला सकते हैं.
लॉन्च (प्रक्षेपण), जो आम तौर पर दक्षिण दिशा की ओर होते हैं, इससे मिशन फेल होने पर मलबा समुद्र में ही गिरता है जिससे ज़मीन पर मनुष्यों के लिए जोखिम न्यूनतम रहता है.
वेनचांग सेंटर में दो अनूठे स्पेस लॉन्च कॉम्पलेक्स हैं, साथ ही अन्य सपोर्ट सुविधाएं हैं, जिन्हें 7 वर्ष में तैयार किया गया.
CZ-5/LM-5 लॉन्च कॉम्प्लेक्स भारी लोड्स के लिए है. इसके उत्तर में एक वाहन-असेंबली बिल्डिंग है. वहीं दक्षिण में लगभग 2,800 मीटर दूरी पर लॉन्च पैड है. दोनों पूरी तरह से असेम्बल रॉकेट को ले जाने के लिए 20 मीटर चौड़ी पटरी से जुड़े हैं.
CZ-7/LM-7 कॉम्प्लेक्स में भी ऐसी ही सुविधाएं हैं जो हल्के लोड के लिए सपोर्ट देती है.
दोनों लॉन्च पैड्स में समान प्रकार के टॉवर्स भूमिगत फ्लेम ट्रैंचेस के साथ हैं. हर एक पैड को चार हल्के कंडक्टर्स से संरक्षित किया गया है. LOX / केरोसिन और LOX / LH2 प्रोपेलैंट टैंक साफ रॉकेट ईंधन के लिए पैड्स की सर्विस करते हैं.
मार्स लैंडर ड्रॉप-टेस्ट फैसिलिटी
CNSA (चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने 19 नवंबर, 2019 को 19 देशों के राजनयिकों को एक नया ड्रॉप-टेस्ट प्रयोग दिखाया.
हेबै प्रांत के हुइलाई में ड्रॉप-टेस्ट फैसिलिटी बीजिंग के उत्तर-पश्चिम में महज 70 किलोमीटर की दूरी पर है. छह 140 मीटर लंबे स्टील के खम्भे लैंडर के लिए हेक्सागोनल स्टैंड प्रदान करते हैं. जिससे उसे ड्रॉप टेस्ट के लिए 130 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जा सकता है.
लिफ्ट-आधारित मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक और बंधा हुआ खम्भा मौजूद है जिसकी ऊंचाई 200 मीटर है. हर एक खम्भे के नीचे एक छोटी इमारत है जिसमे सर्वोमैकेनिज्म की सुविधा है जो लैंडर के लिफ्ट और ड्रॉप में मदद करती है.
चाइना एस्ट्रोनॉट रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर ने मंगल के पर्यावरण की नकल के मुताबिक चीनी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक स्पेस स्टेशन बनाया है.
2.2 अरब डॉलर की लागत से बनी मार्स बेस नंबर 1 नाम की सुविधा स्कूली छात्रों के लिए अप्रैल 2019 में खोली गई.
यह लानझोऊ के उत्तर में 300 किलोमीटर दूर और जिंनचांग से 15 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है.
बेस में नौ अलग कंपार्टमेंट्स हैं जो ढके हुए कॉरिडोर वाले सेंट्रल कंट्रोल से जुड़े हैं. मंगल पर जाने वाले रोवर्स के लिए एक अलग गेराज और एक कम्युनिकेशन नोड भी बनाया गया है.
इसके दक्षिण का क्षेत्र मंगल ग्रह के गड्डों वाले लैंडस्केप जैसा है. यहां ऐसी हट्स (झोपड़ियां) भी हैं जो ताइकोनॉट्स (चीनी अंतरिक्ष यात्री) के इस्तेमाल के लिए हैं. ये सब मंगल पर मानवयुक्त मिशन भेजने की की स्थिति की तैयारियों के तहत है.
मॉनिटरिंग क्षमता
CNSA ने तीन अहम अर्थ स्टेशन्स से इस मंगल मिशन की मॉनिटरिंग की योजना बनाई है. ये मंगल मिशन चीन की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक है.
इन अर्थ स्टेशन्स में से दो चीन में स्थित हैं. जियामुसी डीप स्पेस-मॉनिटरिंग स्टेशन, 67 मीटर व्यास वाला है. यहां तीनों अर्थ स्टेशन्स में से सबसे बड़ा स्पेस पैराबोलिक डिश एंटीना है.
इसे भी पढ़ें --- UAE का पहला मार्स मिशन जापान से लान्च, फरवरी में कक्षा में प्रवेश की उम्मीद
काशगर फैसिलिटी में रिनोवेशन जारी है. यहां 30 मीटर की चार डिश होने की संभावना है. इस फैसिलिटी में उन अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं पर नजर रखने के लिए छोटे एंटीना की व्यूह रचना है जो मिशन पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं.
तीसरी सुविधा अर्जेंटीना में नियुकुएन शहर के पास स्थित है. यहां गहन अंतरिक्ष शोध और मॉनिटरिंग के लिए 37 मीटर का पैराबोलिक एंटीना है.
इस लॉन्च की मॉनिटरिंग न्यू युआन वांग -6 स्पेस इवेंट जहाजसे भी की जाएगी, जो कहीं प्रशांत महासागर में स्थित है.
(कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के लिए एक सलाहकार हैं.वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं. उन्होंने 33 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवा की.)