करीबी दोस्त माने जाने वाले चीन ने पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को चीन की अपने हालिया दौरे से खाली हाथ लौटना पड़ा है. शहबाज चीन इस उम्मीद से गए थे कि चीन पाकिस्तान में बड़े निवेश की घोषणा करेगा लेकिन उन्हें चीन में उन्हें मुलाकातों के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ.
पाकिस्तानी मीडिया ने पिछले महीने रिपोर्टों में कहा था कि शरीफ 4 जून से शुरू होने वाली अपनी पांच दिवसीय चीन यात्रा के दौरान चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (CPEC 2.0) के दूसरे चरण के औपचारिक शुभारंभ में शामिल होने वाले थे. पाकिस्तान पिछले कई सालों से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिससे निकलने के लिए शरीफ चीन के साथ नए इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी डील करने की कोशिश कर रहे थे. इसी क्रम में उन्होंने मार्च में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद पहली बार चीन की यात्रा की.
चीन दौरे में शहबाज शरीफ और उनके कैबिनेट मंत्री राष्टपति शी जिनपिंग और चीन के शीर्ष अधिकारियों से राजधानी बीजिंग में मिले. लेकिन इन मुलाकातों को कोई खास फायदा पाकिस्तान को नहीं मिला. Nikkei Asia ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान को इन मुलाकातों से मामूली फायदा हुआ.
पाकिस्तान की उम्मीदों पर चीन ने फेरा पानी
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी अधिकारियों का यह दावा कि CPEC डील का उन्नत संस्करण औपचारिक रूप से बीजिंग में लॉन्च किया जाएगा, सच साबित नहीं हुआ.
कथित तौर पर चीन ने पाकिस्तान के साथ पहले वाली गर्मजोशी नहीं दिखाई और उसकी प्रतिक्रिया फीकी रही. मुलाकातों के बाद दोनों देशों के 32 सूत्रीय संयुक्त बयान से पता चला कि पाकिस्तान को मामूली फायदा हुआ है. पाकिस्तान ने जहां CPEC को लेकर हौआ खड़ा किया था, वहीं बयान में इसका उल्लेख भर था और वो भी अस्पष्ट तरीके से.
संयुक्त बयान में कहा गया, 'दोनों पक्षों ने माना कि CPEC बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक अग्रणी प्रोजेक्ट रहा है. CPEC ने सफलतापूर्वक एक दशक पूरा कर लिया है और दोनों पक्ष उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट और रोड सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
CPEC प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत 2015 में की गई थी. 62 अरब डॉलर के इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट्स पर काम करना शामिल था जिसमें ग्वादर बंदरगाह, पूरे पाकिस्तान में बिजली संयंत्र और सड़क नेटवर्क का निर्माण शामिल था.
CPEC चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का ही हिस्सा है जिसके तहत चीन पाकिस्तान में 3,000 किलोमीटर का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहा है. इसका लक्ष्य ग्वादर और कराची में पाकिस्तान के बंदरगाहों को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ना है.
चीन दौरे से शहबाज शरीफ को क्या हुआ हासिल?
संयुक्त बयान से पता चलता है कि शहबाज शरीफ अपने चीन दौरे में कुछ मामूली लाभ हासिल करने में कामयाब रहे. चीन 6.7 अरब डॉलर के मेन-लाइन-1 (एमएल-1) रेलवे प्रोजेक्ट को चरणों में आगे बढ़ाने पर सहमत हो गया है. इस प्रोजेक्ट का मकसद दक्षिणी पाकिस्तानी के बंदरगाह शहर कराची और देश के उत्तर में पेशावर के बीच तीन चरणों में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना है. हालांकि, चीन केवल प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए राजी हुआ है.
दोनों पक्ष काराकोरम हाइवे के एक हिस्से को उन्नत करने पर राजी हुए है. यह हाईवे पहाड़ी इलाकों के जरिए पाकिस्तान को चीन से जोड़ता है. सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी से यह हाईवे बंद हो जाता है जिसका रास्ता निकालने के लिए दोनों पक्षों में सहमति बनी है. मई में, पाकिस्तान ने चीन से मांग की थी कि वो अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए उसे अतिरिक्त 17 अरब डॉलर की फंडिंग दे.
हालांकि, Nikkei Asia से बात करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की मांगों को लेकर चीन की ठंडी प्रतिक्रिया एक अलग स्थिति को जन्म दे सकती है. CPEC के कई प्रोजेक्ट्स में पिछले कुछ समय से निवेश ठंडा पड़ा हुआ है.
प्राग यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एसोसिएट प्रोफेसर जेरेमी गार्लिक ने कहा, 'चीन बड़ा निवेश नहीं करेगा और न ही ऐसा होगा कि चीन पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ सहयोग खत्म कर लेगा.'
गार्लिक का मानना है कि चीन अब पाकिस्तान में अधिक निवेश करने को लेकर सावधान हो गया है क्योंकि वो जानता है कि लंबे समय से आर्थिक बदहाली झेल रहा पाकिस्तान एक फाइनेंशियल ब्लैक होल बन गया है.
इसका हालिया उदाहरण पाकिस्तान का चीन को बकाया पैसा न देना है. पाकिस्तान पर चीन की पावर प्लांट चलाने वाली कंपनियों का 12 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज है और उसे चुकाने के बदले पाकिस्तान मांग कर रहा कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाई जाए.