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UN सुधार: वीटो छोड़ने के भारतीय प्रस्ताव पर चीन की सधी प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग का कहना था कि ये मामला एक 'पैकेज समाधान' के तहत ही सुलझाया जा सकता है जिसमें सभी संबद्ध देशों के हितों का ख्याल रखा गया हो. पीटीआई भाषा को दिये लिखित जवाब में चुनयिंग ने माना किसुरक्षा परिषद् सुधारों का ताल्लुक सदस्यता की श्रेणियों, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और वीटो पावर जैसे मसलों से है.

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सुरक्षा परिषद् में सुधारों पर राजनीति
सुरक्षा परिषद् में सुधारों पर राजनीति

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए G-4 देशों देश अस्थायी तौर पर वीटो का अधिकार छोड़ने के लिए राजी हैं. लेकिन चीन फिर भी झुकने के लिए तैयार नहीं है. बीजिंग ने इस मसले पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है.

'पैकेज समाधान' से सुलझेगा मुद्दा!
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग का कहना था कि ये मामला एक 'पैकेज समाधान' के तहत ही सुलझाया जा सकता है जिसमें सभी संबद्ध देशों के हितों का ख्याल रखा गया हो. पीटीआई भाषा को दिये लिखित जवाब में चुनयिंग ने माना कि सुरक्षा परिषद सुधारों का ताल्लुक सदस्यता की श्रेणियों, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और वीटो पावर जैसे मसलों से है.

क्या है पेशकश?
7 मार्च को यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने कहा था कि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने पर G-4 देश कुछ वक्त के लिए वीटो की ताकत का इस्तेमाल ना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इस पेशकश से दशकों से लटके सुरक्षा परिषद् सुधारों पर बात आगे बढ़ सकेगी. G-4 देशों में ब्राजील, जर्मनी और जापान हैं. ये सभी देश सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य बनने के लिए एक दूसरे की दावेदारी का समर्थन करते हैं.

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क्या है सुधार में रोड़ा?
लेकिन पश्चिमी देश सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए तैयार नहीं हैं. इटली की अगुवाई में युनाइटिंग फॉर कन्सेंसस नाम का संगठन नए स्थायी सदस्यों को शामिल करने के खिलाफ है. पाकिस्तान भी इसी समूह का हिस्सा है. युनाइटिंग फॉर कन्सेंसस ने अस्थायी सदस्यों की एक नई श्रेणी बनाने का प्रस्ताव रखा है जिनकी सदस्यता की अवधि लंबी हो.

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