चीन में बनाया गया देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बुधवार को सेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया. Y-20 Kunpeng का चीन की सेना यानी पीएलए में शामिल होना दुनिया की इस सबसे बड़ी सेना के लिए मिलिट्री एविएशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी है. यह विमान खराब मौसम में भी सेना के साजो-सामान दुनिया के किसी कोने तक पहुंचा सकता है. चीन की वायु सेना का मानना है कि Y-20 की एंट्री से उसकी सामरिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी.
करीब 66 टन है विमान की क्षमता
चीन ने इस विमान को 'chubby girl' का नाम दिया है. जानकार कहते हैं कि Y-20 को चीन ने अमेरिकी बोइंग C-17 और रूस के IL-76 एयरक्राफ्ट के मुकाबले तैयार किया है. रूसी इंजन से लैस इस विमान की क्षमता करीब 66 टन है. इस विमान में एक टाइप 99 टैंक, सैनिक और अन्य साजो-सामान ढो सकता है. टाइप 99 टैंक चीन का सबसे उन्नत टैंक है, जिसका वजन करीब 50 टन है. यह विमान सैन्य साजो-सामान लेकर 7800 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है यानी बीजिंग से काहिरा तक.
एयरक्राफ्ट बनाने वाला दुनिया का तीसरा देश बना चीन
Y-20 एयरक्राफ्ट चीन के Y-8 और रूस के IL-76 की जगह लेगा, जो अब तक चीन की सेना में शामिल रहे थे. अगले एक या दो वर्षों तक Y-20 के करीब एक दर्जन विमान चीनी सेना में ऑपरेट करने लगेंगे. जबकि चीन इस अवधि में 200-300 विमान तैयार करने की योजना बना रहा है. पीएलए के अधिकारी दावा करते हैं कि Y-20 एयरक्राफ्ट IL-76 से ज्यादा उन्नत है. Y-20 की एंट्री से चीन अपने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिजाइन करने और बनाने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया है. इससे पहले केवल रूस और अमेरिका ही ऐसा कर रहे थे.
Y-20 दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
वैसे तो रूस और यूक्रेन के संयुक्त प्रयास से बनाया गया Antonov-124 Ruslan ही आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है और इसकी क्षमता Y-20 से दोगुनी है. लेकिन मॉस्को और कीव के बीच तल्ख रिश्तों की वजह से इस विमान का प्रोडक्शन और मौजूदा विमानों का अपग्रेडेशन साल 2014 से ही ठप है. ऐसे में प्रोडक्शन के नजरिये से Y-20 दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है. जहां तक दुनिया के सबसे बड़े कार्गो एयरक्राफ्ट की बात है, तो यह उपलब्धि Antonov AN-225 Mriya के नाम है. छह टर्बोफैन इंजन से लैस 640 टन की क्षमता वाला यह जहाज बीते मई में हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतरा था.
तीन साल पहले भारत को मिला था 'ग्लोबमास्टर'
भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2013 में C-17 के 'ग्लोबमास्टर' को अपने बेड़े में शामिल किया था. C-17 की क्षमता करीब 70 टन और 150 सुसज्जित सैनिकों को ढोने की क्षमता है. इस विमान ने रूस के आईएल-76 की जगह ली, जो अब तक वायुसेना के बेड़े में शामिल रहा था. IL-76 की क्षमता करीब 40 टन वजन ढोने की है.
30 साल की मेहनत से भारत ने बनाया अपना LCA
याद रहे कि बीते हफ्ते ही भारत ने देश में बने पहले लाइट कॉम्बैट लड़ाकू विमान तेजस को एयरफोर्स में शामिल किया है. 1350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाले तेजस विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL ने बनाया है. तेजस की एंट्री के साथ ही स्वदेशी लड़ाकू विमान का हिंदुस्तान का सपना 30 साल की मेहनत के बाद पूरा हो गया.